शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला नियम विरूद्व की जा रही नियुक्तियां
मामला मुंगावली बीआरसीसी कार्यालय का जहां बीएसी के सभी स्वीकृत पद भरे होने के बाद भी डीपीसी ने कर दी नियुक्ति।
मुंगावली:-
छात्रों को हमेशा शिक्षा व नियमों का पाठ पढ़ाने वाला शिक्षा विभाग हमेशा
ही नियमों को लेकर विवादों में रहा है और एक बार फिर डीपीसी कार्यालय
अशोकनगर द्वारा एक आदेश जारी किया गया है जिसको देखकर भ्रष्टाचार की बू आ
रही है पूरे मामले को देखा जाए तो बीआरसीसी कार्यालय मुंगावली में बीएसी के
कुल 5 पद स्वीकृत है और 5 पदों पर बीएसी कार्य कर रहे हैं। लेकिन डीपीसी
श्री शुक्ला द्वारा नियमों को ताक पर रखते हुए यहां एक अतरिक्त बीएसी की
नियुक्ति नियम रद्द कर दी गई है। जब इस संबंध में डीपीसी से जानना चाहा तो
यह कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए और कहा कि मुंगावली बीआरसीसी को बोल दिया
है कि यहां पदस्थ एक बीएसी को बीजीसी का चार्ज दे दिया जाए। वहीं डीपीसी का
कहना है कि जिस बीएसी की नियुक्ति की गई है विद्यालय खुलते ही उसको मूल
संस्था में भेज दिया जाएगा। लेकिन डीपीसी कुछ भी कहें नियमानुसार इनके
द्वारा स्वीकृत पदों से ज्यादा नियुक्तियां करके कहीं न कहीं अपनी
कार्यप्रणाली पर खुद ही सवाल खड़े कर लिए हैं।
बीआरसीसी बोले हमको नही कोई निर्देश-
अपने
निजी स्वार्थों के चलते डीपीसी शुक्ला किस तह झूठ बोल रहे इसका अंदाजा
इससे ही लगाया जा सकता है कि जब डीपीसी से इस नियुक्ति के बारे में जानना
चाहा तो उनके द्वारा कहा गया कि बीआरसीसी को एक बीएसी को हटाकर बीजीसी का
चार्ज देने को कहा है। लेकिन जब बीआरसीसी से ऐसे किसी निर्देश या आदेश के
बारे मे जानकारी ली गई तो इनके द्वारा बताया गया कि हमको ऐसा कोई निर्देश व
आदेश अभी तक नही मिला है सिर्फ बीएसी की नियुक्ति का आदेश है मिला है। आगे
जो भी आदेश होगा उसके अनुसार कार्य कराएंगे। इन दोनों अधिकारियों के
जबाबों को सुनकर यह आसानी से कहा जा सकता है कि अपने चहेते शिक्षक को लाभ
पहुँचाने के लिए डीपीसी द्वारा लगातार झूठ बोला जा रहा है।
सवाल रिक्त पद पर क्यों नही की गई नियुक्ति-
अधिकारियों
द्वारा कहीं जा रही बातों के आधार पर बताया जा रहा है कि बीआरसीसी
कार्यालय मुंगावली में बीजीसी का एक पद रिक्त था। जिसको बीएसी की नियुक्ति
करके भरने का प्रयास मनमाने तरीके से डीपीसी द्वारा किया गया है। जबकि नियम
पूर्वक देखा जाए तो जो पद रिक्त पड़ा था उसको भरना था न कि अपने चहेते को
पुरस्कृत करके बीएसी को हटाकर बीजीसी का पद भरा जाएगा। पूरी प्रक्रिया को
देखने के बाद तो यही कहा जायेगा कि कहीं न कहीं शिक्षा विभाग मैं न केवल
अधिकारियों की मनमर्जी धडल्ले से चल रही है। बल्कि इनके आदेशों में कहीं न
कहीं भ्रष्ट्राचार की बू भी आ रही हैं। अब देखना होगा कि इस तरह मनमर्जी
पूर्वक डीपीसी द्वारा जो बीएसी की नियुक्ति की गई है उस पर कोई कार्रवाई की
जाती है या फिर इसी तरह नियमों को तांक पर रखकर शिक्षा विभाग इन
अधिकारियों की मनमर्जी का शिकार होता रहेगा।
इनका कहना है।
किस
आधार पर नियुक्ति की गई है डीपीसी को बुलाकर देखती हूँ और जानकारी लेती
हूं। कि आखिर भरे हुए पदों पर नियुक्ति किस आधार पर की है। कोई भी गलत नियुक्ति नही की जाएगी।
मंजू शर्मा कलेक्टर अशोकनगर।