भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री का जाना-माना नाम, दिनेश लाल यादव। ये सिर्फ एक्टर ही नहीं, बल्कि सिंगर, फिल्ममेकर और पॉलिटिशयन भी हैं। निरहुआ को रिएलिटी शो 'बिग बॉस' के 6वें सीजन में भी देखा जा चुका है। बचपन में दिनेश का ज्यादातर समय बेलघोरिया में चार नंबर रेलवे गेट (अगरपारा) में बीता, क्योंकि यहां उनके पिता एक फैक्ट्री में काम करते थे। फर्श से अर्श तक का सफर तय करने वाले दिनेश लाल यादव को 'निरहुआ' के नाम से ज्यादा जाना जाता है। क्या आप जानते हैं कि ये नाम कैसे पड़ा! सिर्फ यही नहीं, उनका सबसे पॉप्युलर गाना है- 'निरहुआ सटल रहे'। इस गाने के पीछे की कहानी बहुत ही मजेदार है। इसी सॉन्ग ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया था। 2 फरवरी 1979 को जन्में निरहुआ के बारे में आज जानिए कुछ अनसुनी बातें।Dinesh Lal Yadav Birthday: निरहुआ और उनके गाने 'निरहुआ सटल रहे' के बारे में जानने से पहले देखिए ये गाना, क्योंकि ये आज भी लोगों को बहुत पसंद है। लोगों का कहना है कि इस गाने को सुनकर उन्हें उनका बचपन याद आ जाता है।
निरहुआ ने खुद 'द कपिल शर्मा शो' में इस गाने को बनाने के पीछे की कहानी सुनाई थी, जो बहुत दिलचस्प थी। उन्होंने बताया था कि वो कोलकाता से पढ़ाई करके अपने गांव लौटे थे तो वहां देखा कि सबकुछ बदल गया है। पूरा परिवेश बदल गया है। उन्होंने कहा, 'मैं उस समय कोलकाता से पढ़ाई करके आया था अपने गांव। मैंने गांव को बदलते हुए देखा। बदलते हुए परिवेश को देखा। पहले हमारे गांव में क्या होता था कि अगर किसी लड़के की शादी हो गई। सब घर-परिवार के लोग हैं। उस लड़के को अपनी बीवी से मिलना होता था तो जब पूरा घर सो जाता था, तब छिपके कहीं से सीढ़ी-वीढ़ी लगाकर छत से चढ़कर उसको कैसे-कैसे पहुंचना पड़ता था।'
इस वजह से लड़की से मिलने नहीं देते थे घरवाले
निरहुआ ने आगे बताया कि ऐसा क्यों होता था? उन्होंने कहा, 'उस जमाने में ऐसा इसलिए होता था क्योंकि हमारे जो पुराने लोग थे, उनका मानना ये था कि नहीं, नहीं। अभी लड़का पहलवानी कर रहा है। मैं तो खटिया दरवाजे पर ही बिछाकर सोऊंगा। और ये सच है। मेरा एक दोस्त था राजेश। उसकी शादी हो गई। उसके पिता लाठी लेकर घर के बाहर बैठे हैं। उसके बाद रात को हम लोग गए। उसके घर के पीछे सीढ़ी लगाए और उसको बोले कि चढ़ बेटा। जब तक वो चढ़ रहा था, तब तक उसके पिता को शक हुआ और वो लाठी लेकर आ गए। वो तो छत पर पहुंच चुका था लेकिन हमको और हमारे दूसरे दोस्त को दे लाठी, दे लाठी जो मारा है। उसको (दोस्त) बोले कि उतर, वो बोला, अब हम ना उतरब। कूद गया
निरहुआ आगे कहते हैं, 'ऐसे में उस समय ऐसा गाना होता था, जो मेरे भैया गाते थे। सब लोगों को खाना-पीना खिलाकर नौ बजे तक, अपने अपने रूम में सबको सुला देना है और कहीं ऐसा हो कि सबका इंतजार करने में मैं भी सो गया। ये तो था उस समय। जब मैं 2003 में आया पूरा परिवेश बदला हुआ है। जो लोग जुगाड़ लगाकर घर के पीछे से चढ़ते थे, अब नए लड़कों की शादी हो रही है तो वो घर में ही बैठकर खा रहे हैं। किसी से फर्क नहीं है। दोस्त लोग पूछ रहे हैं कि वो हैं कहां तो पता चला उसकी शादी हो गई है। घर में ही है। वो आ ही नहीं रहा है। मैंने कहा ये तो बहुत बड़ा बदलाव आ गया है समजा में । फिर मैंने ये गाना बनाया।'
कैसे पड़ा नाम निरहुआ!
दिनेश लाल यादव का नाम निरहुआ कैसे पड़ा इस बारे में उन्होंने एक बार बताया था कि वो अपनी फिल्म 'चलत मुसाफिर मोह लियो रे' में काम कर रहे थे। उस समय उनका एक एल्बम आया था, जिसका नाम था 'निरहुआ नाम है।' उस वक्त लोगों को लगा कि उनका असली नाम निरहुआ ही है। बस तभी से लोग उन्हें इसी नाम से बुलाने लगे और उनका ये नाम पड़ गया।