भोपाल के गौहर महल में गुरुवार को बेगम ऑफ भोपाल क्लब का हेरिटेज फेस्टिवल सीजन 5 शुरू हो चुका है। फेस्टिवल में भोपाली संस्कृति को दिखाने वाला परी बाजार लगाया गया है।
इसके साथ ही नृत्य, संगीत और टॉक शो जैसे कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जा रहा है। फेस्टिवल के पहले दिन जनजातीय नृत्य, टॉक शो, किस्से अनकहे और शाम-ए-कलाम जैसे कार्यक्रम आयोजित किए गए।
इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने कहा कि यह फेस्टिवल मातृ शक्ति को दिखाने वाला है। परी बाजार लगभग 150 साल पुरानी सांस्कृतिक विरासत है, जिसे नवीनीकरण के बाद फिर से पेश किया गया है। यह फेस्टिवल 19 जनवरी तक जारी रहेगा।
स्वास्थ्य मंत्री ने परी बाजार का भ्रमण किया
फेस्टिवल के पहले दिन प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल मुख्य अतिथि के रुप में पहुंचे। इस दौरान उन्होंने परी बाजार का भ्रमण किया। साथ ही सूफी संगीत कार्यक्रम शाम-ए-कलाम का लुत्फ उठाया।
स्वास्थ्य मंत्री बोले- ऐसे कार्यक्रम भविष्य की पीढ़ी को सिखाने वाले है
अपने उद्बोधन में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम भविष्य की पीढ़ी को सांस्कृतिक विरासत बताने और कुछ सिखाने वाले है। इनके समय - समय पर आयोजन से मन आनंद से भर जाता है।
पारंपरिक पोशाक और व्यंजन के करीब 65 स्टॉल्स लगाए गए
कार्यक्रम की आयोजक रखशां शमीम ने बताया कि इस बार थीम सरगम ए गोंड है, जो मध्य प्रदेश की मशहूर सांस्कृतिक चित्रकला है। कार्यक्रम में भोपाली संस्कृति की झलक देखी जा रही है। वहीं, परी बाजार में पारंपरिक पोशाक और व्यंजन के करीब 65 स्टॉल्स लगाए गए है।
यह स्टॉल्स राज्य समेत देश के कई कोनों से भी लगाए गए है। इनमें महिला बाल विकास, मध्य प्रदेश टूरिज्म, ट्राइबल और वेलफेयर मिनिस्ट्री स्टॉल्स भी लगे है।
बच्चे बोले- क्ले आर्ट और सांस्कृतिक कार्यक्रम पसंद आए
इस दौरान कार्यक्रम में आए बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम का लुत्फ उठाया। क्लास 6वीं में पढ़ने वाली हिमा परवेश ने बताया कि उसे इस कार्यक्रम से भोपाल की संस्कृति जानने को मिली।
वहीं, बाल भवन स्कूल में पढ़ने वाली हरीम ने बताया कि उसे यहां क्ले आर्ट और सांस्कृतिक कार्यक्रम बहुत पसंद आया।
भोपाल की सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखना कार्यक्रम का लक्ष्य
कार्यक्रम के बारे में क्लब की वाइस प्रेसिडेंट बीनू धीर ने बताया कि कार्यक्रम का लक्ष्य भोपाल की सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखना है। ताकि हमारी भविष्य की पीढ़ी इसे अपना सके।