सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) के वेरिफिकेशन के लिए पॉलिसी बनाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करेगा। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने इसके लिए याचिका लगाई है।
ADR ने याचिका में कहा कि EVM के वेरिफिकेशन के लिए चुनाव आयोग (EC) की तरफ से बनाए गए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (SOP) सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मेल नहीं खाते हैं।
11 फरवरी को पिछली सुनवाई में CJI संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने सुनवाई पूरी होने तक EVM का डेटा रिलोड या डिलीट न करने के निर्देश दिए थे।
CJI ने कहा था, 'यह विरोध की स्थिति नहीं है। अगर हारने वाले उम्मीदवार को कोई स्पष्टीकरण चाहिए, तो इंजीनियर यह स्पष्ट कर सकता है कि कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है।'
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि वेरिफिकेशन का कॉस्ट 40 हजार रुपए बहुत ज्यादा है। कोर्ट ने इसे कम करने का भी निर्देश दिया था।
EC को सुप्रीम कोर्ट में EVM की मेमोरी और माइक्रो कंट्रोलर डिलीट करने की पूरी प्रक्रिया की जानकारी देनी होगी।
CJI बोले- हमारे फैसले का यह मतलब नहीं था कि आप डेटा डिलीट करें
CJI खन्ना ने चुनाव आयोग के वकील एडवोकेट मनिंदर सिंह से कहा कि अप्रैल 2024 में ADR और EC केस में दिए फैसले का यह मतलब नहीं था कि EVM से चुनाव का डेटा डिलीट किया जाए, या रीलोड किया जाए। उस फैसले का मकसद यह था कि चुनाव के बाद EVM मैन्युफैक्चरिंग कंपनी का कोई इंजीनियर मशीन को वेरिफाई और चेक कर सके।
26 अप्रैल 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 3 निर्देश दिए
1. सिंबल लोडिंग प्रक्रिया के पूरा होने के बाद इस यूनिट को सील कर दिया जाए। सील की गई यूनिट को 45 दिन के लिए स्ट्रॉन्ग रूम में स्टोर किया जाए।
2. इलेक्ट्रॉनिक मशीन से पेपर स्लिप की गिनती के सुझाव का परीक्षण कीजिए।
3. यह भी देखिए कि क्या चुनाव निशान के अलावा हर पार्टी के लिए बारकोड भी हो सकता है।
फैसले के बाद राजनीतिक पार्टियां और कैंडिडेट्स के लिए EVM की जांच करवाने का एक रास्ता खुला। इसे नीचे दिए पॉइंट्स से समझिए।