बुधवार शाम से ही सोशल मीडिया पर धर्मेंद्र की फिल्म 'चाचा भतीजा' का पोस्टर खूब शेयर किया जा रहा है। साल 1977 में रिलीज इस कॉमेडी-ड्रामा फिल्म की कहानी सलीम-जावेद की सुपरहिट जोड़ी ने लिखी थी। जबकि इसे डायरेक्ट किया था मनमोहन देसाई ने। जाहिर है, आप यह सोच रहे होंगे आखिर इतनी पुरानी फिल्म अब क्यों चर्चा में है। आखिर ऐसा क्या है इस फिल्म में कि ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर आम जनता से लेकर सियासत के सूरमा तक इस फिल्म के पोस्टर को शेयर कर चटकारे ले रहे हैं? दरअसल, बुधवार 05 जुलाई 2023 की तारीख हिंदुस्तान के राजनीतिक इतिहास में 'चाचा-भतीजा' के सियासी उठापटक के लिए हमेशा याद रखी जाएगी। महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारे में बुधवार को 'पवार की पावर पॉलिटिक्स' में जो कुछ भी हुआ, उसकी गूंज भविष्य के गाहे-बगाहे खूब सुनाई देगी।
महाराष्ट्र के सियासत में नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी यानी NCP की दखल हेमशा से रही है। बुधवार को पार्टी की कमान Sharad Pawar से छीनकर उनके भतीजे Ajit Pawar ने अपने हाथों में ले ली। कुछ महीने पहले शिवसेना में फूट के बाद यह राज्य की सियासत में दूसरी बड़ी घटना है। अजित पवार इस वक्त राज्य के उपमुख्यमंत्री भी हैं। अपनी दबी हुई सियासी इच्छाओं को नया आयाम देने के लिए अजित पवार ने अपने ही चाचा को पटकनी दी। पहले ऐसा लग रहा था कि उनके इस कदम से पार्टी दो भाग में बंट जाएगी, लेकिन एनसीपी का हाल शिवसेना जैसा नहीं हुआ। अब 83 साल के शरद पवार अपनी ही बनाई पार्टी में साइडलाइन में हो गए हैं।
राजनीतिक के चाचा भतीजा vs फिल्मी चाचा भतीजा
बुधवार को दोपहर बाद जैसे ही NCP के अंदर की कलह को नया रूप मिला, सोशल मीडिया पर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। राजनीतिक विश्लेषक जहां इसके बाद बदलने वाले समीकरण से जोड़-घटाव करने में जुटे रहे, वहीं चटकारे लेने वालों ने धर्मेंद्र और रणधीर कपूर की फिल्म 'Chacha Bhatija' का पोस्टर शेयर करना शुरू कर दिया।
इस फिल्म और NCP में मचे हलचल के बीच टाइटल को छोड़कर और कोई समानता नहीं है। लेकिन जब इस सुपरहिट फिल्म की चर्चा हो ही रही है, तो सिनेमाई दर्शक गाहे-बगाहे इस मजेदार फिल्म को एक बार फिर देख सकते हैं। फिल्म में धर्मेंद और रणधीर कपूर जहां चाचा और भतीजे के रोल में हैं, वहीं उनके साथ हेमा मालिनी और योगिता बाली की जोड़ी है।
मनमोहन देसाई की लगातार चौथी सुपरहिट फिल्म थी 'चाचा भतीजा'
साल 1977 में रिलीज 'चाचा भतीजा' मनमोहन देसाई की लगातार चौथी सुपरहिट फिल्म थी। वह इससे पहले 'अमर अकबर एंथनी', 'धरम वीर' और 'परवरिश' से मजमा लूट चुके थे। 'धरम वीर' के बाद यह मनमोहन देसाई और धर्मेंद्र की दूसरी फिल्म भी थी। यह फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म प्राइम वीडियो पर उपलब्ध है।
'चाचा भतीजा' फिल्म की कहानी
रणवीर सिंह तेजा (रहमान) अपने परिवार के साथ हंसी-खुशी रहते हैं। परिवार में उनकी पत्नी सीता, बेटा सुंदर (रणधीर कपूर) और छोटा भाई शंकर (धर्मेंद्र) है। कहानी आगे बढ़ती है और अचानक सीता की मौत हो जाती। रणवीर तेजा दोबारा शादी करते हैं। सोनिया (सोनिया साहनी) घर की नई बहू बनकर आती है। सोनिया का एक दुष्ट भाई है लक्ष्मीदास (जीवन), जिसकी बहन के नए महल जैसे ससुराल पर गंदी नजर है। सोनिया और लक्ष्मीदास अब रणवीर तेजा की संपत्ति पर कब्जा करने का कुटिल साजिश रचते हैं। शादी के तुरंत बाद गलतफहमियां पैदा होने लगती हैं और इस कारण शंकर को घर छोड़कर जाना पड़ता है। कहानी ऐसे पलटती है कि सुंदर को भी रणवीर तेजा ने घर से दूर बोर्डिंग स्कूल में भेज दिया है।
फिल्म की कहानी में इसके बाद एक लंबा लीप आता है। कई साल बीतने के बाद अब सुंदर बड़ा होकर ठग बन गया है। जबकि शंकर कालाबाजारी करने लगा है। कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब सुंदर और शंकर का आमना-सामना होता है। दोनों एक-दूसरे की पहचान से अंजान हैं। लेकिन फिर उन्हें यह पता चल जाता है कि उनका खून का रिश्ता है और वो चाचा-भतीजा हैं। इसके बाद चाचा और भतीजा मिलकर सोनिया और उसके दगाबाज भाई से बदला लेने की ठानते हैं। क्या वो इसमें सफल हो पाते हैं, ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।