दो साल से आवंटित नही हुई राशि तो टूटने लगा स्मार्ट सिटी का सपना
पिछले उपचुनाव के दौरान दिखाया सपना आज भी नही उतरा धरातल पर, पैसों की कमी के चलते बन्द हुए मिनी स्मार्ट सिटी के कार्य, पच्चीस करोड़ में से मात्र पांच करोड़ ही हुए आवंटित तो अधूरे निर्माण व उखड़ी सड़कें बनी परेशानी।
मुंगावली:- तीन वर्ष पहले हुए उपचुनाव के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मुंगावली को मिनी स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की थी औऱ इसको धरातल पर उतारने के लिए पच्चीस करोड़ की राशि स्वीकृत की थी और कुछ दिन मैं ही पांच करोड़ की राशि आवंटित भी कर दी थी जिसके चलते नगर मैं अर्बन डवलपमेंट के द्वारा नगर का सर्वे कराकर नगर को स्मार्ट बनाने का प्लान तैयार करके आनन फानन में निर्माण कार्य चालू कर दिए थे और कुल 12 निर्माण कार्य स्मार्ट सिटी के तहत स्वीकृत किये गए थे जिनमें से 10 कार्य तो चालू हो चुके है लेकिन दो कामों का तो आज तक लेआउट भी नही डाला गया है। औऱ अब ठेकेदार को भुगतान न होने के चलते निर्माण कार्य बंद पड़ा है और मात्र औपचारिकता के लिए विभाग व ठेकेदार द्वारा कार्य कराया जा रहा है जिससे यह न कहा जा सके कि स्मार्ट सिटी का कार्य बंद हो गया है। लेकिन वास्तविकता में नगर में जो भी स्मार्ट सिटी के मुख्य कार्य है वह आज बंद पड़े हैं।
बनने से पहले ही टूटने लगे निर्माण कार्य-
जिस समय स्मार्ट सिटी का कार्य प्रारम्भ हुआ था उस समय स्मार्ट सिटी विभाग के कई प्रदेश व सम्भाग स्तरीय अधिकारियों का आना जाना हुआ था और सभी के निर्देश थे कि निर्माण कार्य समय सीमा मैं कराये जाए साथ ही गुड़बत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाए। लेकिन देखा जाए तो मिनी स्मार्ट सिटी का कार्य न केवल कछुआ चाल से चल रहा है बल्कि जो सड़कें व अन्य कार्य कराए गए हैं वह टूटने व उखड़ने लगीं है जिनको देखकर कहा जा सकता है कि निर्माण कार्यों मैं गुड़बत्ता का कोई ध्यान नही दिया गया है और निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग किया गया है जिसके चलते यह उखड़ी सड़कें राहगीरों को परेशानी का सबब भी बनती नजर आ रही हैं।
आखिर कब होगा सपना साकार-
देखा जाए तो पिछले उपचुनाव के दौरान जो स्मार्ट सिटी की सौगात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने दी थी तो नगरवासियों ने एक स्मार्ट सिटी का सपना देखा था। और इसके बाद हुए विधानसभा व लोकसभा के चुनाव के दौरान भाजपा ने अपनी सभाओं में इसका जमकर प्रचार प्रसार किया था और लोगों को भाजपा का समर्थन करने की अपील की थी लेकिन अब दूसरा उपचुनाव होने वाला है और तीन साल बाद भी स्मार्ट सिटी का सपना सपना ही लगता है। लेकिन इस सपने को साकार करने की कोशिश किसी भी अधिकारी व जनप्रतिनिधि ने नही की है। अब देखना यह होगा कि आने वाले कुछ महीनों में जो उपचुनाव होना है उसमें स्मार्ट सिटी को पूरा कराने पैसा दोबारा आबंटित होता है या फिर ऐसे ही मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखाए जाएंगे जो कभी पूरे होते नजर नही आ रहे हैं।
एक भी कार्य नही हुआ पूर्ण तो बनते ही टूटने लगी सड़कें-
देखा जाए तो मिनी स्मार्ट सिटी के तहत जो कार्य कराए गए हैं उनमे से एक भी कार्य पूर्ण नही हुआ है और जो दो पार्क बनाये जाने हैं उनमे से एक भी पार्क पूर्ण नही हुआ है। बस स्टेंड का कार्य चालू भी नही हो सका, हाटबाजार बनने से पहले ही टूटने लगा है, सेल्टर होम दोनो ही अधूरे हैं। जयस्तंभ चौराहें का सौन्द्रीयकरण का कार्य भी डेढ़ साल से बंद पड़ा है। और जो सीसी सड़कें बनाई गई हैं वह बनने के कुछ समय बाद ही उखड़ने लगी है। इस तरह इन बन्द पड़े व उखड़े हुए निर्माण कार्यो को देखा जाए तो यही कहा जा सकता है कि मिनी स्मार्ट सिटी का कार्य भगवान भरोसे ही गया है।
बन्द होने की कगार पर स्मार्ट सिटी का कार्य-
इस तरह महीनों से बंद पड़े अधूरे निर्माण कार्यो के बारे में जब स्मार्ट सिटी के उपयंत्री तोषण राय से जानना चाहा तो उनके द्वारा बताया गया कि विभाग के पास राशि नही है और पच्चीस करोड़ में से मात्र पांच करोड़ ही आवंटित किये गए हैं । जिसके चलते कार्य बंद पड़े हैं और कुछ दिन में स्मार्ट सिटी का कार्य बंद होने की कगार पर है क्योंकि निर्माण कम्पनी के द्वारा आवंटित राशि से कहीं ज्यादा के कार्य करा दिए हैं। अब केवल छोटे छोटे कार्य कुछ मजदूरों के द्वारा ही कराया जा रहा है