तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ने 18 गैर-हिंदू कर्मचारियों को हटाया

Updated on 06-02-2025 12:36 PM

आंध्र प्रदेश के तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने मंदिर के 18 कर्मचारियों को हटाने की तैयारी कर ली है। इन सभी को TTD के नियमों के खिलाफ जाकर काम करने का दोषी पाया गया है।

ट्रस्ट ने सभी 18 कर्मचारियों के सामने दो शर्तें रखी हैं, या तो सभी किसी दूसरे सरकारी विभाग में ट्रांसफर ले लें या फिर VRS (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) ले लें। ऐसा मंदिर की पवित्रता बनाए रखने के लिए किया जा रहा है।

TTD 12 मंदिरों का रखरखाव करता है। इसमें 14 हजार से कर्मचारी काम करते हैं।

TTD ने बयान में कहा-

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यह कार्रवाई TTD अध्यक्ष बीआर नायडू के निर्देश पर की गई। संस्थान में काम के दौरान गैर-हिंदू धार्मिक प्रथा फॉलो करने वाले 18 कर्मचारियों के खिलाफ एक्शन लिया गया है। ये सभी TTD में काम करने के बावजूद गैर-हिंदू धार्मिक परंपराओं को फॉलो कर रहे हैं। अब इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।

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TTD ने किन कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की

हमने गैर हिंदू कर्मचारियों की पहचान की थी

टीटीडी अध्यक्ष नायडू ने कहा- हमने कुछ TTD कर्मचारियों की पहचान की, जो गैर-हिंदू हैं। इन लोगों से VRS लेने का अनुरोध किया जाएगा। अगर वे इसके लिए राजी नहीं होते हैं तो उन्हें राजस्व, नगर पालिका या किसी निगम जैसे सरकारी विभागों में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। मैंने 4 फरवरी को बोर्ड मीटिंग में प्रस्ताव पेश किया, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया।

तिरुमला में पॉलिटिकल बयानों पर रोक लगाने वाला प्रस्ताव भी बोर्ड मीटिंग में पारित किया गया। इसमें कहा गया है कि TTD नियमों का उल्लंघन करने वालों के साथ-साथ पॉलिटिकल पार्टियों का प्रचार करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

TTD के फैसले के 3 आधार

पिछले कुछ सालों में TTD अधिनियम में 3 बार संशोधन किया गया है। तय किया गया कि मंदिर बोर्ड और उससे जुड़े संस्थानों में केवल हिंदुओं को ही नियुक्त किया जाना चाहिए।

1989 में जारी एक सरकारी आदेश में भी कहा गया कि TTD के एडमिनिस्ट्रेटिव पदों पर केवल हिंदुओं को ही चुना जाएगा। इस निर्णय को संविधान के अनुच्छेद 16(5) का समर्थन है। धार्मिक या सांप्रदायिक प्रकृति के संस्थानों को अपने स्वयं के धर्म के सदस्यों को नियुक्त करने की परमिशन दी गई है। इसी तरह आंध्र प्रदेश चैरिटेबल और हिंदू धार्मिक संस्थान और बंदोबस्ती अधीनस्थ सेवा नियम के नियम 3 में कहा गया है कि धार्मिक संस्थानों के कर्मचारियों को हिंदू धर्म का पालन करना चाहिए।

नवंबर 2023 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने नियम 3 को बरकरार रखा। इसमें साफ कहा गया है कि ट्रस्ट बोर्ड को सेवा शर्तों को अनिवार्य करने का अधिकार है, जिसमें कर्मचारियों के लिए हिंदू धर्म का पालन करना आवश्यक है।

तिरुपति दुनिया का सबसे अमीर मंदिर ट्रस्ट 

अप्रैल 2024 में आई रिपोर्ट के अनुसार मंदिर ट्रस्ट ने 2024 में 1161 करोड़ रुपए की एफडी कराई थी। यह अब तक की सबसे ज्यादा रकम की एफडी है। इसके बाद ट्रस्ट के बैंकों में कुल एफडी 13287 करोड़ रुपए हो गई है। यह देश का इकलौता मंदिर है जो पिछले 12 सालों में साल दर साल 500 करोड़ या उससे ज्यादा की रकम बैंक में जमा कर रहा है।

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम दुनिया के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। ये आंध्र प्रदेश के सेशाचलम पर्वत पर बसा है। भगवान वेंकटेश्वर के इस मंदिर का निर्माण राजा तोंडमन ने करवाया था। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 11वीं सदी में रामानुजाचार्य ने की थी।

मान्यता है कि भगवान वेंकटेश्वर जब पद्मावती से अपना विवाह रचा रहे थे तो उन्होंने धन के देवता कुबेर से कर्ज लिया। भगवान पर अब भी वो कर्ज है और श्रद्धालु इसका ब्याज चुकाने में उनकी मदद करने के लिए दान देते हैं। तिरुमाला मंदिर को हर साल लगभग एक टन सोना दान में मिलता है।

यहां बालों का दान किया जाता है 

मान्यता है कि जो व्यक्ति अपने मन से सभी पाप और बुराइयों को यहां छोड़ जाता है, उसके सभी दुःख देवी लक्ष्मी खत्म कर देती हैं। इसलिए यहां अपनी सभी बुराइयों और पापों के रूप में लोग अपने बाल छोड़ जाते हैं।

भगवान विष्णु को कहते हैं वेंकटेश्वर 

इस मंदिर के बारे में कहा जाता हैं कि यह मेरूपर्वत के सप्त शिखरों पर बना हुआ है, इसकी सात चोटियां शेषनाग के सात फनों का प्रतीक कही जाती हैं। इन चोटियों को शेषाद्रि, नीलाद्रि, गरुड़ाद्रि, अंजनाद्रि, वृषटाद्रि, नारायणाद्रि और व्यंकटाद्रि कहा जाता है।

इनमें से व्यंकटाद्रि नाम की चोटी पर भगवान विष्णु विराजित हैं और इसी वजह से उन्हें वेंकटेश्वर के नाम से जाना जाता है।

सिर्फ शुक्रवार को होते हैं पूरी मूर्ति के दर्शन 

मंदिर में बालाजी के दिन में तीन बार दर्शन होते हैं। पहला दर्शन विश्वरूप कहलाता है, जो सुबह के समय होता है। दूसरा दर्शन दोपहर को और तीसरा दर्शन रात को होता है। भगवान बालाजी की पूरी मूर्ति के दर्शन केवल शुक्रवार को सुबह अभिषेक के समय ही किए जा सकते हैं।

भगवान बालाजी ने यहीं दिए थे रामानुजाचार्य को साक्षात दर्शन यहां पर बालाजी के मंदिर के अलावा और भी कई मंदिर हैं, जैसे- आकाश गंगा, पापनाशक तीर्थ, वैकुंठ तीर्थ, जालावितीर्थ, तिरुच्चानूर। ये सभी जगहें भगवान की लीलाओं से जुड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि श्रीरामानुजाचार्य जी लगभग डेढ़ सौ साल तक जीवित रहे और उन्होंने सारी उम्र भगवान विष्णु की सेवा की, जिसके फलस्वरूप यहीं पर भगवान ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए थे।



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