आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर हम आपको एक ऐसे राजा के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें मालवा का मंगल पांडे भी कहा जाता है। इतिहासकार बताते हैं कि अनसंग हीरो अमझेरा नरेश राजा बख्तावर सिंह मालवा और संभवत: देश के पहले राजा थे जिन्हें अंग्रेजों ने फांसी पर लटकाया था। 34 साल की उम्र में ही उन्हें इंदौर लाकर फांसी पर लटका दिया गया था। तब बगावतें और भी राजाओं ने की लेकिन उन्हें ऐसी क्रूर सजा नहीं दी गई। अंग्रेजों ने उनके शव को सुबह से शाम तक फंदे पर लटकाकर रखा। दरअसल, राजा की बगावत से अंग्रेजों को यह डर सताने लगा था कि दूसरे राजा भी इसी राह पर चले तो राज करना मुश्किल हो जाएगा।
पढ़ाई के लिए इंदौर आए थे
बात साल 1824 की। अंग्रेजी हुकूमत जड़ें जमा चुकी थीं। तब मालवा के अमझेरा में राजा अजीतसिंह एवं महारानी इन्द्रकुंवर के घर बेटा हुआ, जिसका नाम रखा बख्तावर सिंह। कुछ बड़े हुए तो पढ़ाई के लिए इंदौर आ गए। यहां आंखों के सामने अंग्रेजों के जुल्म देखे तो मन कौंधने लगा।
बचपन में ही संभालनी पड़ी राजगद्दी
बख्तावर की उम्र जब महज सात साल की थी, तब उनके पिता चल बसे। परंपरानुसार राजा की गद्दी खाली नहीं रह सकती इसलिए बख्तावर सिंह का बचपन में ही राज तिलक करना पड़ा। खेलने-कूदने के दिनों में उन पर प्रजा की जिम्मेदारी आ गई।