तीन दिन से भोपाल और विदिशा में
भारी बारिश हो रही है। इससे बेतवा नदी में उफान आ गया है। बेतवा स्थानीय
गंज और बर्रीघाट पुल के ऊपर करीब दो से तीन फीट तक बही। गुरुवार को इसी तेज
बहाव में बाइक पर सवार भाई-बहन गिर गए। बहन सोनम दांगी बह गई, लेकिन उसने
मौत के सामने घुटने नहीं टेके। लड़ती रही। 12 घंटे तक संघर्ष किया।
मैं गंजबासौदा में रहती हूं। भाई कल्लू दांगी पडरिया गांव में रहते हैं। गुरुवार को रक्षाबंधन के लिए मुझे लेने आए थे। लेकर जा रहे थे, तभी रास्ते में शाम 6 बजे गुरोद मार्ग बर्री पुल पर बेतवा नदी का पानी ऊपर तक नजर आया। भाई को लगा बाइक निकल जाएगी। पुल के बीच में पहुंचे होंगे कि बाइक स्लिप हो गई। इससे पहले कि कुछ समझ में आता मैं नदी में जा गिरी और तेज धार में बहने लगी। बाइक बहते देखी। भाई को भी मुझे बचाने के लिए नदी में कूदते देखा। फिर ये सब नजरों से ओझल हो गया।
बर्री के जिस पुल से मैं बही थी, वहां से करीब चार किमी तक बहती चली गई। धार तेज थी, इसलिए ज्यादा समय नहीं लगा होगा, लेकिन मुझे हर पल ऐसा लग रहा था कि आज मौत तय है। चार किमी दूर गंज में नया पुल बन रहा है। इसके सरिए बाहर निकले हुए हैं। इन सरियों के बीच में फंस गई। यहां पानी का लेवल और बहाव भी थोड़ा कम था। फिर भी कभी भी पानी बढ़ने का डर था। ऊपर से बारिश भी थमने का नाम नहीं ले रही थी। शाम ढल गई और रात गहराने लगी। कोई मदद नहीं आई। कोई नजर भी नहीं आ रहा था, जिससे मदद मांगू। सरिए पकड़े-पकड़े हिम्मत जवाब देने लगी। मेरे 8 साल के बेटे राजदीप का चेहरा आंखों के सामने कौंध गया। सोच लिया कुछ भी हो जाए मैं हार नहीं मान सकती। पूरी रात आंखों में काटी। बिजली की गड़गड़ाहट और बारिश की बौछार मेरी परीक्षा ले रही थी। ठंड से पूरा शरीर कांप रहा था।
सुबह
5 बजे रेस्क्यू बोट नजर आई। देखकर जान में जान लौटी। बोट में बैठाकर लाइफ
जैकेट पहनाई गई। बोट थोड़ी दूर ही आगे बढ़ी होगी कि पलट गई। होमगार्ड का जवान
भी नदी में गिर गया और मैं भी। मैं फिर नदी में बहने लगी। बहते हुए करीब
पांच किमी दूर राजखेड़ा गांव तक चली गई। कहते हैं- डूबते को तिनके का सहारा।
मुझे भी जो मिल जाता था मैं उसे ही पकड़ने की कोशिश करती थी। एक पेड़ काे
पकड़ लिया और उसे पकड़कर लटकी रही। सुबह 6 बजे वहां से राजखेड़ा गांव के
ग्रामीणों ने टायर की मदद से मुझे बाहर
अपनी बहन को नदी में बहता देख भाई ने छलांग लगाई लेकिन बहाव तेज देख जैसे-तैसे वह बाहर आया। इसके बाद उसने पुलिस को सूचना दी। प्रशासन ने चार बोट की मदद से सर्च ऑपरेशन शुरू किया, लेकिन बहन का कोई पता नहीं लगा। रात दो बजे सूचना मिली कि कोई महिला गंज के निर्माणाधीन पुल के पास दिख रही है, लेकिन बारिश और तेज बहाव के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन सुबह चलाने का फैसला किया गया। सुबह 5 बजे बोट भेजी गई।
सोनम ने राजखेड़ा में ही भाई कल्लू को राखी बांधी। इसके बाद उसे कुरवाई के अस्पताल में रेफर कर दिया गया। डॉक्टरों ने हाइपोथर्मिया की जांच के बाद डिस्चार्ज कर दिया। अब सोनम भाई के घर ग्राम पडरिया में हैं।