अपने लीक से हटकर किरदारों के लिए चर्चा में रहने वाली ऐक्ट्रेस राधिका आप्टे की फिल्म 'मिसेज अंडरकवर' सीधे ओटीटी पर रिलीज हो रही है। हमसे खास बातचीत में राधिका ने बताया कि उन्हें खुद को बड़े पर्दे पर देखना बहुत पसंद है, लेकिन ओटीटी के चलते उनकी फिल्में ज्यादा दर्शकों तक पहुंच रही हैं-थिएटर खुले हुए हैं। फिर भी फिल्मों की सीधे ओटीटी पर रिलीज के बारे क्या कहेंगी आप?
इंडिया में लोग एंटरटेनमेंट के लिए बाहर जाकर फिल्म देखते हैं या फिर खाना खाने के लिए रेस्तरां जाते हैं। उनके मनोरंजन के लिए यही दो चीजे हैं। इसलिए मुझे लगता है कि सिनेमा में जाकर फिल्में देखना लोगों की जिंदगी का हिस्सा है। हालांकि पिछले कुछ अरसे में पूरे परिवार के साथ फिल्म देखना काफी महंगा हो गया है। मुझे लगता है कि अगर सिनेमा टिकटों के दामों में कमी हो, तो इसमें बहुत बदलाव आ सकता है। मेरा मानना है कि लोग अब भी सिनेमा में जाकर फिल्म देखना चाहते हैं। अगर टिकटों के दाम कम हो जाएं, तो हम ओटीटी व सिनेमा में बैलेंस ला सकते हैं।
क्या आप सिनेमाघर में अपनी फिल्म की रिलीज को मिस कर रही हैं?
मुझे खुद को बड़ी स्क्रीन पर देखना बहुत पसंद आता है। यह एकदम अलग फीलिंग है। लेकिन ओटीटी का खुद का बड़ा अडवांटेज है कि उसे बहुत सारे लोग देख सकते हैं। इसलिए ओटीटी को ये बहुत बड़ा अडवांटेज है।
कॉमिडी जॉनर तो हमेशा से हिट रहा है। लेकिन आजकल उसका भी एक्सपेंशन हो रहा है। मसलन स्पाई कॉमेडी, हॉरर कॉमेडी और डार्क कॉमेडी वगैरह। इसे कैसे देखती हैं आप?
फिल्म में कोई एक जॉनर नहीं होता है, उसमें कई कैटेगरी होती हैं। मसलन कॉमिडी, ड्रामा, थ्रिलर, तो मुझे समझ नहीं आता कि हम एक फिल्म का एक जॉनर में कैसे फिट करें। फिर इनका ट्रेंड भी आता जाता रहता है।
क्या वाकई कोरोना के बाद दर्शकों की सोच बदल गई है, जो सिनेमा में चुनिंदा फिल्में ही चल पा रही हैं?
नहीं मुझे ऐसा नहीं लगता। दरअसल, कोविड और ओटीटी का लॉन्च भी एक ही समय पर हुआ था। कोविड के बाद लोगों को घर बैठकर इतना सारा कॉन्टेंट देखने का मौका मिला है। इसलिए मुझे सच में लगता है कि बाहर जाकर किसी फिल्म देखना काफी महंगा है। फिर काफी चीजें इस पर डिपेंड करती हैं। दर्शकों को क्या पसंद आता है।
आपकी फिल्म कोरोना की सेकंड वेव के दौरान शूट हुई। उस भयावह दौर के कोई अनुभव जो आप बताना चाहें?वो दौर मुश्किल तो था ही साथ ही डरावना समय भी था। दूसरी वेव तो भारत के लिए तो बहुत ही खराब थी। हम सब किसी ना किसी को जानते हैं, जिन्होंने किसी अपने को खोया है। ये कई लोगों के लिए एक काला समय था। उसमें शूटिंग करना जरूरी भी था, क्योंकि बहुत से लोग का काम धंधा इससे जुड़ा हुआ था। काम तो शुरू करना ही था क्योंकि काम के बिना किसी का घर नहीं चल सकता है। हमें बहुत सावधान रहकर काम करना पड़ा। दो-तीन साल का समय सबके लिए बुरा ही गुजरा। हालांकि मुझे कोई घबराहट नहीं हुई, क्योंकि जो हो रहा था हमे उसके मुताबिक ही चलना था। हमें काम चालू रखना होता है, जिंदगी तो चलती रहती है।
कोरोना ने हर किसी को कुछ ना कुछ सिखाया। आपने उस मुश्किल दौर से क्या सीखा?मुझे लगता है कि कोविड से पहले हम अपने काम को ज्यादा तरजीह देते थे, लेकिन कोविड के बाद हमारा परिवार हमारे लिए महत्वपूर्ण हो गया है। अब मैं अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिताना चाहती हूं। अब मैं परिवार और दोस्तों के समय बिताने के लिए छुट्टी लेने लगी हूं। इसके अलावा खुद के साथ अच्छा समय बिताना, पूरी नींद लेना, खाना-पीना और अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना अब प्राथमिकता में रहता है।
एक हाउसवाइफ का रोल निभाने का आपका एक्सपीरियंस कैसा रहा?
बहुत अच्छा अनुभव रहा। आप जानते ही हैं इसमें कॉमिडी है, स्पाई थ्रिलर जॉनर है, जो कि लोगों ने कभी देखा नहीं है। तो मेरे लिए ये एक नया आइडिया था। इसलिए इस फिल्म को करने में काफी मजा आया। ये लोगों से जुड़ाव भी रखता है। हम अपने आसपास देखते हैं कि बहुत सारी महिलाएं समझौता करके अपनी पूरी जिंदगी समर्पित कर देती हैं।
इस रोल को करते वक्त आपके मन में किसका ख्याल आया। आपकी प्रेरणा कौन थी?
इसके लिए मुझे बहुत सारी महिलाओं से प्रेरणा मिली है। मेरे माता-पिता, रिश्तेदार, दोस्त और बाकी रोजमर्रा जिनसे मिलते हैं, उन तमाम लोगों से प्रेरणा मिली है। हमारे में देश में तो करोड़ों महिलाएं हाउसवाइफ हैं, तो बहुत सारे उदाहरण हमें देखने को मिलते हैं, लेकिन उनको क्रेडिट नहीं मिलता, उन्हें ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता। मुझे इस रोल के लिए कोई खास तैयारी भी नहीं करनी पड़ी। दरअसल यह इतना जमीनी रोल है कि हर कोई इससे कनेक्ट करता है। दूसरा, हमारा शेड्यूल भी काफी टाइट था, क्योंकि उस दौरान कोविड भी चल रहा था। इस वजह से काफी मुश्किलें भी थीं और हम बहुत ज्यादा रिहर्सल भी नहीं कर पाए। लेकिन मजा बहुत आया।
सोशल मीडिया पर सिलेब्रिटीज की ट्रोलिंग का सिलसिला तेज हुआ है। पिछली मुलाकात में आपने बताया था कि आप सोशल मीडिया को साइलेंटली ऑब्जर्व करती हैं और सिर्फ काम की चीजों पर रिएक्ट करती हैं। अपने सोशल मीडिया एक्सपीरियंस के बारे में कुछ बताएं?
मैं सोशल मीडिया पर किसी का ट्रोल कभी पढ़ती नहीं हूं। मुझे पता ही नहीं होता है कि कौन किसको ट्रोल कर रहा है। मैं सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा टाइम नहीं बिताती हूं, तो मेरा सोशल मीडिया पर पहले जैसा ही सोचना है।