90 घण्टे तक चले रेस्क्यू अभियान के बाद मासूम के मृत अवस्था में निकलने के बाद टेक्नोलॉजी और प्रशासनिक व्यवस्था पर खड़े हुए कई सवाल।
स्वदेश समाचार भोपाल डेक्स:-
एक बार फिर खुले पडे गड्ढे ने एक मासूम की जान ले ली और हँसते खेलते मासूम काल के गाल में समा गया और परिजन मूक दर्शक बने रहे। लेकिन इस तरह मासूम की मौत ने प्रशासनिक व्यवस्था व रेस्क्यू टेक्नोलॉजी की पोल खोल कर रख दी। क्योकि प्रशासन ने भले ही 90 घण्टे रेस्क्यू चलाया हो लेकिन इस पर म्रतक मासूम के पिता ने तो सवाल खड़े किए ही पर इसके अलावा भी प्रश्न यही उठता है कि आखिर ऐसी किसी युद्ध स्तर की टेक्नोलॉजी जिससे 59 फ़ीट तक पहुचने में 90 घण्टे लग गए।
क्या है पूरा मामला:-
दरसल देखा जाए निवाड़ी जिले के पृथ्वीपुर थाने के अंतर्गत बारहो बुजुर्ग ग्राम पंचायत अंतर्गत सैतपुरा गांव में बुधवार को सुवह 9 बजे प्रहलाद बोरबेल के गड्ढे में गिर गया जो करीब 59 फ़ीट नीचे जाकर फस गया और डेढ घण्टे तक अपने दादा से बात भी करता रहा लेकिंन उसके बाद इसने बोलना बन्द कर दिया। जब इसकी जानकारी प्रशासन को मिली तो मौके पर बिना समय रेस्क्यू टीम मिउके पर पहुचीं और तभी से लगातार चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में आज सुबह 3 बजकर 04 मिनट पर सफलता तो मिली पर मासूम प्रहलाद को नही बचाया जा सका।
रेस्क्यू पर खड़े हुए सवाल:-
देखा जाए तो प्रशासनिक अधिकारी एसपी कलेक्टर लगातार मौके पर रहे तो निवाड़ी विधायक अनिल जैन भी अधिकांश समय मौके पर रहे और इस रेस्क्यू पर सभी ने अपनी नजर रखी और युद्ध स्तर पर रेस्क्यू अभियान चलाने के दावे किये, लेकिन इनके दावे सभी खोखले निकले और रेस्क्यू अभियान पर ही कई सवाल खड़े हुए जैसे बच्चे तक ऑक्सीजन पहुचाने के लिए पाइप ही नही था ग्रामीणों से पाईप मंगवाया गया। मशीन को बीना से मंगबाई छह घण्टे इंतजार किया गया। उसके बाद बच्चे को निकालने के लिए जो सुरंग खोदी गई वह तिरछी (होरिजोंटल) सुरंग बनाई जा रही थी, जिसका डायरेक्शन भटक जाने के कारण सुरंग बोर तक नहीं पहुंच पाई थी। करीब 11 बजे एनडीआरएफ की टीम ने खुदाई रोक दी थी। इसके बाद देर रात झांसी से एक्सपर्ट की टीम आई, जिन्होंने मैग्नेटिक अलाइनमेंट के जरिए सुरंग की दिशा तय की। इसके बाद दोबारा खुदाई शुरू की गई और रात 3.01 बजे बच्चे को निकाला गया। इस तरह की लापरवाही सामने आने के बाद प्रशासन के वह दावे की युद्ध स्तर पर रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है। तो सवाल की क्या यही है हमारा युद्धाभ्यास ?