सौरभ के ‘प्रीतम-प्यारे’... दोनों फरार:काली कमाई को प्रीतम की मदद से सोने में बदला

Updated on 19-04-2025 11:53 AM

परिवहन विभाग की काली कमाई से करोड़ों की संपत्ति जुटाने वाले सिपाही सौरभ शर्मा के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में कई खुलासे हुए हैं। इसमें दो किरदार ‘प्रीतम’ और ‘प्यारे’ का पता चला है। ईडी की जांच में पता चला है कि 19 दिसंबर 2024 को जब लोकायुक्त पुलिस ने छापेमारी की थी, तब ड्राइवर प्यारे लाल केवट ने सौरभ के मौसेरे जीजा विनय हासवानी के साथ 52 किलो सोना और 11.60 करोड़ रुपए नकदी भरी कार मेंडोरी गांव की सीमा पर खाली प्लॉट पर पहुंचाई थी। विनय ने स्वीकार किया है कि ड्राइवर प्यारे लाल और उसने कार पहुंचाई।

अब बड़ा सवाल यह भी है कि सौरभ के पास इतना सोना आया कहां से? इसी के जवाब में ‘प्रीतम’ नाम के किरदार का खुलासा हुआ है। जांच में सामने आया है कि सौरभ ने काली कमाई को सोने में निवेश किया। उसके सहयोगी चेतन सिंह गौर (जिसकी कार से सोना मिला) ने स्वीकार किया है कि प्रीतम कई बार सोना लेकर आया।

उसने यह डिलीवरी भोपाल के अरेरा कॉलोनी स्थित ई-7/657 मेसर्स अविरल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी के कार्यालय में की। सौरभ यह सोना अपने साथ ई-7/78 स्थित घर ले जाता था। कंपनी के ऑफिस में ही दो कमरों में चेतन रहता है। हैरत की बात है कि छापों के बाद से लोकायुक्त पुलिस, ईडी और आयकर विभाग प्रीतम और प्यारे को पकड़ नहीं पाए हैं। दोनों की तस्वीरें भी एजे​सियों के पास नहीं हैं।

हॉस्पिटल संचालक डॉ. अग्रवाल ने सौरभ को दिए 6.50 करोड़ रुपए

ईडी की चार्जशीट के मुताबिक नवोदय कैंसर हॉस्पिटल के संचालक डॉ. श्याम अग्रवाल ने सौरभ और उसके सहयोगियों को अलग-अलग बैंक खातों में 6.50 करोड़ रुपए दिए। ये रुपए अविरल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी के नाम पर भी दिए गए। डॉ. अग्रवाल ने ईडी को दिए बयान में बताया कि प्रॉपर्टी खरीदने के लिए ये राशि दी गई थी।

जब इसकी पड़ताल की गई तो ये रुपए बगैर किसी लिखा-पढ़ी और दस्तावेज के दिए गए। प्रॉपर्टी का भी कहीं अता-पता नहीं था। इसी तरह पुणे की मनोदीप नागरिक सहकारी पत संस्थान के खातों में 2.99 करोड़ रुपए जमा किए गए। सौरभ ने ये राशि तीन अक्टूबर 2023 से सात अक्टूबर 2023 के बीच ट्रांसफर किए गए। सौरभ ने ये राशि रेखा तिवारी के अकाउंट से भी ट्रांसफर किए गए।

7 साल की नौकरी में मनमर्जी की पोस्टिंग सौरभ शर्मा को वर्ष 2016 में परिवहन विभाग में बतौर आरक्षक अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। ईडी की जांच में पता चला कि सौरभ शर्मा ने अपने रसूख के दम पर मनमर्जी से उन शहरों में ट्रांसफर कराए जहां कमाई ज्यादा है। सौरभ सात साल की नौकरी के दौरान अशोक नगर, मुरैना, गुना, शिवपुरी, ग्वालियर, दतिया, भोपाल समेत कई अन्य शहरों में रहा। ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि सौरभ ने परिवहन विभाग के कार्यालयों और चेकपोस्ट से की गई उगाही से करोड़ों रुपए इकट्ठा किए और इन्हें परिजनों, दोस्तों और सहयोगियों के नाम पर प्रॉपर्टी में खपाया।

काले धन को वैध बनाने के लिए सौरभ ने कई कंपनियां बनाईं, जिसमें परिजनों और दोस्तों को डायरेक्टर बनाया। ईडी ने अभी तक मुख्य आरोपी सौरभ शर्मा समेत इस मामले से जुड़े 11 लोगों से पूछताछ की है। इनमें चेतन गौर, शरद, शरद की मां कृष्णा, सौरभ की मां उमा, ममेरा साला रोहित तिवारी, अनुभा तिवारी (रोहित की पत्नी), सौरभ का मौसेरा साला विनय, सास रेखा तिवारी, पत्नी दिव्या तिवारी, सविता (विनय की मां) शामिल हैं।

रेखा तिवारी (सौरभ की सास)

  • सौरभ ने ही उनके नाम पर ग्वालियर, भोपाल में मकान और जमीन खरीदीं। सभी संपत्तियों के लिए सौरभ उनके बैंक खाते में रुपए जमा करता था।
  • पेंशन वाले खाते का उपयोग लेन-देन में हो रहा था, इस पर आपत्ति जताने पर सौरभ ने नया खाता खुलवाया। चेतन ने उनके खाते में 70 लाख रुपए जमा किए, जबकि रेखा का कहना है कि वह चेतन को जानती तक नहीं थीं।
  • सौरभ के घर ई-7/78 अरेरा कॉलोनी से महज 50 मीटर की दूरी पर स्थित ई-7/71 मकान उसकी मां उमा शर्मा के नाम पर खरीदा गया। प्रत्यक्षदर्शियों और शिकायतकर्ता के मुताबिक, लोकायुक्त पुलिस की छापेमारी के दौरान कार इसी घर की पार्किंग में खड़ी थी। इसकी जानकारी लोकायुक्त पुलिस की टीम को भी दी गई।

ईडी पूछताछ : सौरभ ने अपने घर पर मिली संपत्ति से भी इनकार किया, सहयोगियों ने कहा- सब उसी की

सौरभ शर्मा : 2016 में परिवहन विभाग में आरक्षक के पद पर अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। {भोपाल स्थित मकान और कार्यालय से लोकायुक्त की छापेमारी में जो नकदी और संपत्ति मिली, उससे संबंध होने से इनकार। {जब्त कार, सोना और नकदी पर भी कहा- गाड़ी मेरे नाम पर नहीं थी। बरामद सामान से लेना-देना नहीं। {प्यारे लाल केवट को शरद ने मिलवाया था। प्यारे घर का काम और गाड़ी चलाता था। मैंने प्यारे को कोई भी सोना या नकदी कहीं ले जाने को नहीं कहा था।

चेतन सिंह गौर... बचपन का दोस्त होने के चलते सौरभ के कहने पर 2020 में भोपाल आया। सौरभ ने पेट्रोल पंप, कंस्ट्रक्शन कंपनी और मछली पालन के ठेके से जोड़े रखा। {आय का स्रोत नहीं। सौरभ से 20 लाख रु. लिए थे। 6 करोड़ की एफडी सौरभ ने ही कराई।

चेतन ने ई-7/657 स्थित घर से बरामद नकदी, चांदी और गहने सौरभ के बताए।

शरद जायसवाल... सौरभ से रोहित तिवारी के जरिए 2020 में मुलाकात हुई। दोनों ने प्रॉपर्टी का काम शुरू किया। चेतन से 1.45 करोड़ का लोन लेकर इंदौर में प्लॉट खरीदा। सौरभ ने विनय हासवानी से मिलवाया। विनय से 31 लाख दिलवाए, जो वापस नहीं किए। शरद को अविरल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी में डायरेक्टर बनाया।

विनय हासवानी (सौरभ का मौसेरा जीजा) एनएलआईयू में प्रोफेसर कृति से शादी हुई, जो सौरभ की मौसी की बेटी हैं। ड्राइवर प्यारे से जान-पहचान थी। प्यारे के कहने पर कार उसी प्लॉट पर खड़ी की, जिसे 2024 में उसने रिश्तेदार किशन कुमार अरोरा के साथ खरीदा था। विनय की मां सविता के नाम 1.33 करोड़ की संपत्ति खरीदी गई।



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