प्रदेश में कोरोना संक्रमण का दायरा लगातार फैलता जा रहा है। इसके चलते इंदौर में चार महीने बाद एक फिर कोरोना के एक्टिव प्रकरणों की संख्या 300 से ऊपर पहुंच गई है। वहीं, जबलपुर में भी कोरोना की संक्रमण दर पांच फीसदी से ऊपर निकल गई है। स्वास्थ्य विभाग के तमाम दावों के बावजूद सैंपलिंग नहीं बढ़ाई जा सकी है, जिससे संक्रमण की सही रफ्तार का आंकलन नहीं हो पा रहा है।
इंदौर: फिर सिर उठाने लगा कोरोना
चार महीने बाद शहर में कोरोना के उपचाररत मरीजों की संख्या 300 पार हो गई है। इसके पहले अंतिम बार 26 फरवरी 2022 को शहर में उपचाररत मरीजों की संख्या 300 से ऊपर थी। उस दिन इंदौर में 338 कोरोना संक्रमित उपचाररत थे। इसके बाद कोरोना के मरीजों की संख्या में लगातार उतार-चढ़ाव होता रहा, लेकिन 4 जुलाई को पहली बार उपचाररत मरीजों का आंकड़ा 300 पार हुआ। हालांकि राहत की बात यह है कि ज्यादातर कोरोना संक्रमितों में कोरोना के कोई लक्षण ही नहीं हैं। कुछ मरीज ऐसे हैं जिन्होंने सर्दी-जुकाम के बाद जांच करवाई और पता चला कि वे कोरोना संक्रमित हैं। सोमवार को इंदौर में 265 सैंपलों की जांच की गई थी, जिसमें कोरोना के 56 नए मरीज मिले हैं। इस हिसाब से संक्रमण की दर 21 प्रतिशत से ऊपर रही। स्वास्थ्य विभाग के दावों के बावजूद जिले में सैंपलिंग की संख्या नहीं बढ़ पा रही है। 13 जून को सीएमएचओ डा. बीएस सैत्या ने दावा किया था कि जिले में रोजाना दो हजार सैंपल एकत्रित किए जाएंगे लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है।
जबलपुर: 5.20 प्रतिशत हुई संक्रमण की दर
हालांकि शहर में कोरोना टेस्टिंग काफी कम मात्रा में की जा रही है, इसके बावजूद कोरोना वायरस की संक्रमण दर पांच प्रतिशत के पार हो गई है। प्रशासन द्वारा सोमवार को जारी 173 सैंपल की रिपोर्ट में 5.20 प्रतिशत संक्रमण दर से कोरोना के नौ मरीज सामने आए, जिसके बाद कोरोना के सक्रिय मरीजों की संख्या बढ़कर 63 हो गई। इस दौरान कोरोना संक्रमण को मात देने वाले एक व्यक्ति को आइसोलेशन से छुट्टी दी गई। कोरोना के ज्यादातर मरीज होम आइसोलेशन में उपचार करवा रहे हैं।