टोक्यो ओलिंपिक की ब्रॉन्ज मेडलिस्ट लवलीना बोरगोहेन कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतने की दावेदार थीं। ओलिंपिक की तुलना में कॉमनवेल्थ गेम्स में कॉम्पिटिशन का स्तर काफी कम है। इसलिए फैंस के साथ-साथ एक्सपर्ट भी मान कर चल रहे थे कि लवलीना के पंच से भारत को सोना मिलना तय है, लेकिन बुधवार को एंटी क्लाइमैक्स सामने आ जाता है। लवलीना क्वार्टर फाइनल में ही हार जाती हैं। गोल्ड छोड़िए ब्रॉन्ज भी नहीं जीत पाईं।
एक नजर में यह खेल और खिलाड़ियों से जुड़ी दुखद, लेकिन सामान्य घटना लग सकती है। आखिर खेल में हार-जीत लगी जो रहती है, लेकिन अगर हम लवलीना से जुड़े पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम पर नजर डालें तो मामला असामान्य नजर आने लगता है। इसमें एक स्टार एथलीट की जिद, भारतीय बॉक्सिंग में चल रहे क्षेत्रवाद और भारी मिसमैनेजमेंट जैसे पहलू उभरकर सामने आते हैं।