मामला अशोकनगर जिले के मुंगावली ब्लॉक की शासकीय उचित मूल्य की मुड़रा बहादरा दुकान का जहां लगभग 33 लाख के राशन व केरोसिन की कालाबाजारी का मामला आया सामने।
मुंगावली:- शासन भले ही कितनी भी टेक्नोलॉजी ले आये सार्वजनिक वितरण प्रणाली में घोटाले रुकने का नाम नही ले रहे हैं। ऐसा ही मामला मुंगावली ब्लॉक की मुड़रा बहादरा उचित मूल्य की दुकान पर सामने आया है जहां पर समिति प्रबंधक, बिक्रेता व सहायक बिक्रेता की मिलीभगत से लाखों रुपये के राशन व केरोसीन की कलाबाजारी कर दी गई जिसके बाद जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी के आवेदन पर थाना पिपरई में मंगलवार को तीनों के विरुद्ध ईसी एक्ट के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है।
कैसे खुली घोटाले की पोल:-
देखा जाए तो लाखों के इस घोटाले की पोल तब खुली जब 20 अक्टूबर तक इस दुकान का खाद्यान्न प्रतिशत कम होने के कारण तहसीलदार पिपरई के साथ इस दुकान का निरीक्षण किया और अक्टूबर 2019 से अक्टूबर 2021 तक का स्टॉक चैक किया तो यहां 3293770 रुपये कीमत के गेंहू, शक्कर बाजरा व केरोसिन की हेराफेरी का मामला सामने आया। जिसके बाद कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी के प्रतिवेदन पर एसडीएम ने प्रतिवेदन तैयार करने बरिष्ठ अधिकारियों को भेजा जिसके बाद मंगलवार को पिपरई थाने में जिला खाद्य अधिकारी एसएस चौहान की शिकायत पर समिति प्रबंधक अरविंद दीक्षित, बिक्रेता अमित शर्मा व सहायक बिक्रेता दीपक यादव के विरुद्ध ईसी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।
इससे भी बड़े बड़े मामले आएंगे सामने:-
इस कार्रवाई के बाद यही कहा जायेगा की देर आये पर दुरुस्त आये। क्योकि 2019 से दुकानदार हेराफेरी करता रहा और अधिकारी मूकदर्शक बनकर देखते रहे यदि स्टॉक में अंतर था तो तुरंत कार्रवाई करना थी जिससे कि यह लाखो रुपये का घोटाला होने से बच जाता लेकिन अब जो भी हो मामला दर्ज कराकर अधिकारियों ने घोटाले को उजागर तो किया। लेकिन सवाल यह भी उठता है कि ऐसा घोटाला ब्लॉक में सिर्फ इसी दुकान पर नही है। जांच की जाए तो अधिकांश दुकानों पर स्टॉक के मुताबिक लाखों रुपये घोटाला सामने आएगा। अब देखना होगा कि अधिकारियों द्वारा की गई इस सराहनीय कार्रवाई को आगे भी जारी रखा जाता है या फिर वर्षों तक गरीबों के राशन पर डांका डालने के लिए राशन माफियाओं को खाद्य विभाग के अधिकारियों द्वारा फ्री छोड़ दिया जायेगा।
मात्र छः दिन में हुई एफआईआर:-
इस कार्रवाई को देखकर कहा जा सकता है कि अधिकारियों ने तत्परता दिखाई हैं क्योंकि 20 अक्टूबर को अधिकारियों ने दुकान की जांच की और 26 अक्टूबर को मामला दर्ज हो गया। वहीं पूर्व में देखने में आया है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में घोटाले सामने आते है और महीनों कार्रवाई प्रचलित रहती है और उसके बाद मामला दर्ज होता है लेकिन यहां तो मात्र छह दिन मैं ही एफआईआर करा दी गई।