बनना शुरू हो गया है भारतीय रेल का हाइड्रोजन ट्रेन, जान लीजिए कहां तक काम पहुंचा है

Updated on 14-11-2024 12:58 PM
Hydrogen Train India: आईसीएफ चेन्नई (ICF Chennai) में इन दिनों हाइड्रोजन ट्रेन बनाने की तैयारी चल रही है। फिलहाल इसका शेल या बाहरी आरवरण तैयार कर लिया गया है। इसके बन जाने के बाद इसकी अंदर फर्निशिंग होगी। साथ ही बाहर इसे आकर्षक रंगों में पेंट भी किया जाएगा। आपको बताते हैं भारतीय रेल के हाइड्रोजन ट्रेन के प्रोजेक्ट के बारे में...

क्या है हाइड्रोजन ट्रेन


जबसे जीरो इमिशन की बात शुरू हुई है, तबसे परिवहन के ऐसे साधन खोजे जाने लगे हैं, जिसमें कम से कम कार्बन उत्सर्जन हो। इसी क्रम में हाइड्रोजन ट्रेन की परिकल्पना सामने आई। इसमें ट्रेन चलाने के लिए डीजल या बिजली का उपयोग नहीं होता बल्कि हाइड्रोजन फ्यूल का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें ट्रेन चलाने के लिए या तो हाइड्रोजन इंटरनल कंबनशन इंजन में हाइड्रोजन बर्न कर पावर मिलता है या फिर इंजन के इलेक्ट्रिक मोटर को चलाने के लिए हाइड्रोजन फ्यूल सेल का ऑक्सीजन के साथ रिएक्शन कराया जाता है। एक तरह से कह लीजिए कि यह एक हाईब्रीड व्हीकल है।

भारतीय रेल ने भी काम शुरू कर दिया है


भारतीय रेल Indian Railways ने भी इस दिशा में काम शुरू कर दिया है। इसे रेलवे के प्रोडक्शन यूनिट आईसीएफ चेन्नई में बनाया जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि शीघ्र ही इसे परीक्षण के लिए पटरी पर उतार दिया जाएगा। इस समय आईसीएफ चेन्नई में इसका शेल तैयार कर लिया गया है। इसके बाद इसकी फर्निशिंग होगी। इसके बाहरी आवरण को भी आकर्षक रंगों और डिजाइन के साथ पेंट किया जाएगा।

शुरुआत हुई थी स्टीम इंजन से


भारतीय रेल में ट्रेन खींचने के लिए शुरू में स्टीम इंजन का इस्तेमाल होता था। कोयले से इंजन चलाने के लिए काफी मशक्कत करनी होती थी। इसमें एक बार फ्यूल खत्म हो जाने के बाद इंजन को ट्रेन से काट कर दूसरा इंजन जोड़ना पड़ता था7 इसकी रिफ्यूलिंग लोको शेड में ही होती थी। इस वजह से एक ट्रेन में कई बार इंजन चेंज करना होता था।


फिर आया डीजल इंजन


इसके बाद डीजल इंजनों का उपयोग शुरू हुआ। इसमें अच्छी बात यह थी कि यदि ट्रेन दिल्ली से कोलकाता जा रही है तो रास्ते में कहीं इंजन चेंज नहीं करना पड़ता था। जहां फ्यूल खत्म हुआ तो बीच के स्टेशनों में वैसे ही डीजल भर दिया जाता है, जैसे आप अपनी कार में पेट्रोल या डीजल डलवाते हैं। लेकिन यह भी महंगा पड़ता है क्योंकि डीजल के लिए कच्चा तेल विदेशों से मंगवाना पड़ता है।


अब इलेक्ट्रिक इंजनों का दौर


अब भारतीय रेल में इलेक्ट्रिक इंजन का राज है। इलेक्ट्रिक इंजन को चलाने में कम खर्च है। इसका मेंटनेंस आसान है क्योंकि डीजल इंजन में तो पूरा का पूरा पावर हाउस होता है। उसमें डीजल से पावर हाउस चलता है। उससे जो बिजली बनती है, उससे मोटर चलता है। इलेक्ट्रिक इंजन में बिजली ऊपर ट्रैक्शन वायर से ली जाती है और ट्रांसफार्मर से होते हुए वह मोटर तक जाती है। इसी से ट्रेन खींचा जाता है।

हाइड्रोजन रेल मतलब नए युग में प्रवेश


अब भारत में भी हाइड्रोजन ट्रेन पर काम शुरू हुआ है। यदि यह प्रयोग सफल होता है तो रेलवे का खर्च काफी घट जाएगा। रेलवे बोर्ड के सूत्र बताते हैं कि इसी साल दिसंबर से इसका पायलट परीक्षण शुरू हो सकता है। बताया जाता है कि इसे चलाने में हर घंटे करीब 40,000 लीटर पानी का उपयोग किया जाएगा। इसकी स्पीड भी 140 किलोमीटर प्रति घंटे बतायी जाती है। हालांकि कुछ और तकनीक पर भी काम हो रहा है। यदि तकनीक सफल होती है तो फिर रेलवे कई हाइड्रोजन ट्रेन को शुरू कर सकता है।



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