भारत की केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) को शक है कि कनाडा के रास्ते अमेरिका में भारतीयों की ह्यूमन ट्रैफिकिंग की जा रही है। ED ने इस मामले में कनाडा के 260 कॉलेज की भी संदिग्ध भूमिका पाई है। ED ने बुधवार को बताया कि एक इंटरनेशनल सिंडिकेट द्वारा इस वारदात को अंजाम दिया जा रहा है।
दरअसल, 3 साल पहले 2022 में एक गुजराती परिवार की अवैध तरीके से कनाडा के रास्ते अमेरिका में घुसते वक्त मौत हो गई थी। बॉर्डर पार करवाने वाले तस्करों ने इन्हें माइनस 37 डिग्री सेल्सियस के बर्फीले तूफान के बीच छोड़ दिया था।
अहमदाबाद पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज की थी। इस FIR में भवेश अशोकभाई पटेल और कुछ अन्य लोगों को प्रिवेंटिव मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत आरोपी बनाया था। ED के अहमदाबाद रीजनल ऑफिस ने इसे लेकर 10 और 19 दिसंबर को मुंबई, नागपुर, गांधीनगर और वडोदरा में 8 जगहों पर सर्च ऑपरेशन चलाया।
ED की जांच में पता चला है कि ये तस्कर पहले कनाडा के कॉलेजों में एडमिशन दिलाने के लिए आवेदन करते हैं। इसके बाद जब कोई इंसान कनाडा पहुंच जाता है तो वो उसे अवैध तरीके से बॉर्डर पार करवा कर अमेरिका पहुंचा देते हैं।
प्रति व्यक्ति 55 से 60 लाख रुपए वसूलते हैं तस्कर
एजेंसी ने बताया कि ये आरोपी इस सारे काम के लिए प्रति व्यक्ति 55 से 60 लाख रुपए तक वसूलते हैं। तलाशी के दौरान पता यह भी चला कि मुंबई और नागपुर में दो एजेंट हर साल लगभग 35,000 लोगों को अवैध तरीके से विदेश भेजते हैं।
अकेले गुजरात में 1700 और पूरे भारत में लगभग 3,500 एजेंट इस रैकेट में शामिल थे। इन पर एक्शन के बाद अभी भी 800 से ज्यादा एजेंट इस काम में लगे हुए हैं। कनाडा के लगभग 260 कॉलेज भी इस रैकेट में हिस्सेदार हैं।
अमेरिका जाने के लिए डंकी रूट अपनाते हैं लोग
हर साल हजारों भारतीय अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, UK जाने के लिए अवैध तरीका अपनाते हैं। पॉपुलर टर्म में इसे डंकी रूट कहा जाता है। भारत से अमेरिका की दूरी करीब 13,500 किमी है। हवाई यात्रा से यहां जाने में 17 से 20 घंटे लगते हैं। हालांकि, डंकी रूट से यही दूरी 15 हजार किमी तक हो जाती है और इस सफर में महीनों लग जाते हैं।