भोपाल में हरदा पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट के पीड़ित परिवारों को पुलिस ने मिसरोद में रोक लिया। वे 150 किमी की न्याय यात्रा निकालकर सीएम डॉ. मोहन यादव से मिलने आ रहे थे। पीड़ित उचित मुआवजे की मांग को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने पर अड़े रहे, तो पुलिस ने बल प्रयोग किया।
पुलिस ने करीब 30 बुजुर्ग, महिला और बच्चों को बस में बैठाकर वापस भेज दिया। एक पीड़ित देवी सिंह ने बताया कि मुझे, मेरे बच्चे और मेरी पत्नी को बहुत मारा है। हम लोगों को बहुत गंभीर चोटें आई हैं।
पीड़ित परिवार बोले- उचित मुआवजा नहीं मिला बता दें कि हरदा शहर के नजदीक स्थित पटाखा फैक्ट्री में 6 फरवरी 2024 को ब्लास्ट हुआ था, जिसमें 13 लोगों की मौत हुई थी। पीड़ित परिवारों का आरोप है कि इस घटना में उचित मुआवजा नहीं मिला है। यही बात बताने मुख्यमंत्री के पास जा रहे थे, पर मिसरोद में पुलिस ने रोक लिया और लाठी से पीटा। बलपूर्वक एक बस में बैठाकर हरदा वापस भेज दिया। लाठीचार्ज में बुजुर्ग-बच्चों को चोट भी आई है।
पुलिस ने कहा- कहीं भी लाठीचार्ज नहीं किया पुलिस थाना प्रभारी मनीष राज सिंह भदौरिया ने सभी आरोपों से इन्कार करते हुए कहा कि किसी भी स्थिति में लाठीचार्ज नहीं किया गया। पीड़ितों को बस में सुरक्षित तरीके से वापस हरदा भेजा गया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री बोले- मप्र में चल रही तानाशाही पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस घटना से संबंधित वीडियो के साथ सवाल उठाए। उन्होंने लिखा, "हरदा से भोपाल पदयात्रा कर आ रहे हरदा ब्लास्ट के पीड़ितों को पुलिस ने नर्मदापुरम रोड पर रोका। क्या मध्य प्रदेश में तानाशाही चल रही है, जहां आमजन अपनी बात मुख्यमंत्री से नहीं कर सकते?"इन पोस्ट के जरिए उन्होंने सरकार पर दबाव बनाए रखने का आग्रह किया कि पीड़ितों को उचित मुआवजा दिया जाए।\
पीड़ित परिवारों की स्थिति और मांगें 6 फरवरी 2024 को हुए पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट में 13 लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। मकान भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। पीड़ित परिवार अब तक उचित मुआवजे के अभाव में काफी संकट में हैं। पीड़ितों ने ये मांगें रखी हैं:
तब से अभी तक हम उचित मुआवजे के लिए दर-दर भटक रहे हैं। जीवनयापन करना बहुत ही मुश्किल हो गया है।
एनजीटी कोर्ट के अनुसार अभी तक जितना मुआवजा दिया गया है, वो मुआवजा हमारे लिए पर्याप्त नहीं है।
शासन ने उस समय जो मदद दी थी उसको भी एनजीटी के मुआवजे से काट ली गई। हमारी मांग है कि 1500 रुपए स्क्वायर फीट के हिसाब से हमें मुआवजा दिया जाए।
हमारे घर पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं घर में लगे नलकूप से लेकर घर के अंदर रखा संपूर्ण समान नष्ट हो गया है।
जितनी राशि एनजीटी से मुआवजे के तौर पर मिली है वो काफी कम है।
ब्लास्ट के समय जब आप हरदा आए थे, आपने पीड़ितों से वादा किया था कि सबको उचित मुआवजा दिया जाएगा।
हम लोगों के सभी मकान रजिस्टर्ड है ब्लास्ट के दूसरे दिन मकानों का सर्वे किया था जिसमें यह बोला गया था कि यह मकान अब रहने लायक नहीं रहे हैं।
14 महीने में कलेक्टर ने 42 बार हमको कार्यालय में मीटिंग के लिए बुलाया और आश्वासन दिया कि तुम लोगों को मुआवजा मिल जाएगा लेकिन आज दिनांक तक हमें पूर्ण मुआवजा नहीं मिला।
अभी कुछ दिन पहले ही गुजरात के बनासकांठा में पटाखा ब्लास्ट हुआ था जिसमें हरदा से काम करने गए मजदूरों की मौत हुई है। वो सभी मजदूर पहले हरदा पटाखा फैक्ट्री में मजदूरी करते थे।
हम गरीब मजदूर लोग हैं कलेक्टर की रिपोर्ट के अनुसार हमारा 100 प्रतिशत नुकसान हुआ है हम शेल्टर हाउस में रह रहे हैं।
एनजीटी के मुआवजे के बाद हमें वहां से भी बाहर निकाला जा रहा है लेकिन जितना हमें मुआवजा मिला है उसमें घर बनाना नामुमकिन है।