भोपाल के जेपी अस्पताल में जल संकट गहरा गया है। इसका सीधा असर मरीजों के इलाज पर पड़ रहा है। पैथोलॉजी लैब में खून की जांचें बंद हैं क्योंकि जांच के लिए जरूरी टीडीएस का पानी नहीं है। इससे कई मरीजों का इलाज रुका है। अस्पताल में रोज 1800 से अधिक मरीज आते हैं, जिनमें से 1000 की जांच पैथोलॉजी में होती है।
खून की जांच के लिए रोज 1000 लीटर से अधिक पानी लगता है। तीन दिन से लैब में पानी नहीं मिल रहा। इससे 1500 से अधिक सैंपल जांच के इंतजार में हैं। पानी की कमी अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे, वार्ड की सफाई और बायोमेडिकल वेस्ट के निपटान में भी बाधा डाल रही है। एक मरीज की बेटी ने बताया कि तीन दिन पहले टेस्ट कराया था, रिपोर्ट अब तक नहीं मिली। वाटर कूलर सूखे हैं और मरीजों के परिजनों को बाहर से पानी लाना पड़ रहा है।
शहर के कमला नेहरू अस्पताल की 7 में से सिर्फ एक ही लिफ्ट चालू है। एक अन्य को इमरजेंसी के लिए आरक्षित रखा है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों को छठवीं मंजिल तक चढ़कर जाना पड़ रहा है। दो लिफ्ट तो बीते दो माह से अधिक समय से बंद पड़ी हुई हैं। खास बात यह है कि स्ट्रेचर लिफ्ट बंद है। उस पर बोर्ड लगा दिया गया है-प्रवेश निषेध। डॉक्टर, स्टाफ, मरीज और परिजन एक ही लिफ्ट से जाना आना कर रहे हैं, लेकिन इसमें परेशानी सिर्फ मरीजों को हो रही है।
इधर, हमीदिया अस्पताल के ब्लॉक-1 में लिफ्टें बंद होने से मरीजों और उनके परिजनों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस ब्लॉक में कार्डियक, सर्जरी, फिजियोथेरेपी, मेडिसिन, किडनी, अस्थि रोग और ईएनटी जैसे विभाग मौजूद हैं।
लिफ्ट सुधारने के लिए बजट मांगा है। पीडब्ल्यूडी द्वारा हमेशा से इस संबंध में लापरवाही की जा रही है।
-डॉ. रवि कांबले, अधीक्षक, कमला नेहरू अस्पताल