सुरैया जमाल शेख उर्फ सुरैया। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की पॉप्युलर एक्ट्रेस और प्लेबैक सिंगर। साल 1936 से 1963 तक वो एक्टिव रहीं। 27 साल के करियर में उन्होंने 67 फिल्में कीं और 338 गानें गाएं। 40 से 50 के दशक में वो इंडस्ट्री की सबसे सक्सेसफुल, फेमस और शानदार अदाकारा रहीं। उन्हें बतौर सिंगर भी खूब मान-सम्मान मिला। वो ज्यादातर अपने लिए गाती थीं और 1942 में 'नई दुनिया' फिल्म से इसकी शुरुआत की थी। उस वक्त उनकी उम्र महज 12 साल थी। सुरैया ने खूब शोहरत कमाई, लेकिन आज भी जब भी उनका नाम लिया जाता है तो देवानंद साहब का जिक्र जरूर होता है। भले ही मजहब की दीवार ने दोनों की मोहब्बत को शादी की मंजिल तक पहुंचने नहीं दिया, लेकिन इनका इश्क ऐसा था, जिसके चर्चे हमेशा होते हैं। आइये आपको लेकर चलते हैं, बीते दिनों की सुनहरी यादों में।
सुरैया का जन्म 15 जून 1929 को लाहौर में अजीज जमाल शेख और मुमताज शेख के घर हुआ था। वो एक साल की थी, जब उनका परिवार मरीन ड्राइव पर 'कृष्णा महल' में रहने के लिए मुंबई (तब बॉम्बे कहा जाता था) चला गया। जल्द ही उनके मामा एम जहूर भी उनके साथ जुड़ गए, जो 1930 में बॉम्बे फिल्म इंडस्ट्री में फेमस विलेन बन गए थे। उन्होंने न्यू हाई स्कूल में पढ़ाई की, जिसे अब बॉम्बे के फोर्ट जिले में जेबी पेटिट हाई स्कूल फॉर गर्ल्स के नाम से जाना जाता है। सुरैया के बचपन के दोस्तों में राज कपूर और मदन मोहन शामिल थे, जिनके साथ वह ऑल इंडिया रेडियो पर बच्चों के रेडियो कार्यक्रमों में गाती थीं।
ऐसे हुई थी एक्टिंग करियर की शुरुआत
सुरैया ने 1936 में जद्दन बाई की 'मैडम फैशन' में मिस सुरैया के रूप में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट अपनी शुरुआत की। बाद में उन्हें चाचा एम जहूर की मदद से एक अहम भूमिका मिली। 1941 में स्कूल से छुट्टी के दौरान वो उनके साथ फिल्म 'ताजमहल' की शूटिंग देखने के लिए बॉम्बे के मोहन स्टूडियो गईं, जिसे नानूभाई वकिल डायरेक्ट कर रहे थे। वकिल की नजर यंग सुरैया के अट्रैक्शन और मासूमियत पर गई और उन्होंने 'मुमताज महल' के किरदार के लिए सुरैया को चुन लिया। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।देवानंद संग 7 फिल्मों में किया काम
अब बात करते हैं पर्सनल लाइफ की तो सुरैया ने 40 के दशक के आखिरी में देवानंद साहब के साथ काम करना शुरू किया था। दोनों ने 'विद्या' मूवी में पहली बार काम किया और फिर एक-दूसरे को दिल दे बैठे। इसके बाद ये जोड़ी 7 और फिल्मों में दिखाई दी। कहते हैं कि दोनों 1948 से 1951 तक रिश्ते में रहे। देवानंद सुरैया को 'नोजी' और 'सुरियाना' कहकर बुलाते थे तो सुरैया भी उन्हें 'स्टीव' और 'देवीना' कहती थीं।