विपक्ष के नेता राहुल गांधी की अगुआई में सोमवार को जंतर-मंतर पर INDIA गठबंधन के छात्र संगठनों ने देशभर में बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर प्रदर्शन किया।
छात्र संगठन नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP), नियुक्तियों पर UGC के प्रस्तावित दिशा-निर्देशों को वापस लेने और छात्र संघों को बहाल करने की मांग कर रहे हैं।
राहुल गांधी ने कहा कि देश में सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार का है और सरकार इस मुद्दे पर चुप है। राहुल बोले हम छात्र हितों से समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि RSS देश के एजुकेशन सिस्टम को खत्म कर रहा है और आने वाले वक्त में किसी को रोजगार नहीं मिलेगा।
राहुल ने कहा, "एक संगठन हिंदुस्तान के भविष्य को, एजुकेशन सिस्टम को खत्म करने में लगा है। उसका नाम RSS है। सच्चाई है कि हमारा शिक्षा का सिस्टम धीरे-धीरे उनके हाथों में जा रहा है। अगर सिस्टम उनके हाथों में चला जाएगा तो देश बर्बाद हो जाएगा। किसी को रोजगार नहीं मिलेगा।"
प्रदर्शन में नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA), स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISF), मुस्लिम स्टूडेंट्स फेडरेशन (MSF), समाजवादी छात्र सभा और छात्र राष्ट्रीय जनता दल (CRJD) शामिल हैं।
जंतर-मंतर पर राहुल गांधी के 4 बयान
राहुल ने कहा, "ये आपकी जिम्मेदारी है कि छात्रों को बताया जाए कि यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर RSS के हैं। आने वाले समय में सभी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर RSS के नॉमिनेशन से बनेंगे। ये देश के लिए खतरनाक है। हमें इसे रोकना होगा।"
. राहुल बोले, "कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री ने कुंभ पर भाषण दिया। इस पर बोलना अच्छा है, लेकिन आपको भविष्य पर भी बात करनी चाहिए। बेरोजगारी पर बात करनी चाहिए, जो देश के युवाओं को बेरोजगार किया जा रहा है, उस पर बात करनी चाहिए।"
कांग्रेस सांसद ने कहा, "प्रधानमंत्री महंगाई, बेरोजगारी के बारे में एक शब्द नहीं बोलते हैं। प्रधानमंत्री का मॉडल है अंबानी-अडाणी को देश का धन दिलाना, RSS को देश के सारे संस्थान पकड़ा देना। हमें इसका विरोध करना है।"
राहुल ने कहा, " ऐसा विरोध देश के कोने-कोने में कीजिए, हर गली मोहल्ले, हर यूनिवर्सिटी में कीजिए। जहां आप ले जाना चाहेंगे मैं आपके साथ चलूंगा। आप छात्र हो। यहां अलग-अलग पार्टियां हैं, विचारधारा में थोड़ा-थोड़ा फर्क हो सकता है, लेकिन हिंदुस्तान का एजुकेशन सिस्टम है, उससे हम कभी समझौता नहीं करेंगे। एकसाथ बढ़ेंगे, RSS और भाजपा को हराएंगे।"
फरवरी में DMK ने UGC के खिलाफ प्रदर्शन किया था
इससे पहले DMK ने 6 फरवरी को जंतर मंतर पर UGC के नए नियमों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। इसमें प्रदर्शन में राहुल गांधी, अखिलेश यादव समेत कई विपक्षी नेता शामिल हुए थे। कांग्रेस ने UGC के नए नियमों को तानाशाही और संविधान विरोधी बताते हुए तुरंत वापस लेने की मांग की थी।
इस दौरान राहुल ने कहा था कि भाजपा देशभर में RSS का एजेंडा चलाना चाहती है। वे एक विचार, एक इतिहास और एक भाषा थोपना चाहते हैं। RSS का मकसद देश की अलग-अलग संस्कृतियों को खत्म करना है। वे संविधान पर हमला करके अपने विचार को थोपना चाहते हैं।
राहुल ने कहा था कि हर राज्य की अपनी भाषा, संस्कृति और इतिहास है। इन्हीं से मिलकर भारत बना है। तमिल लोगों का अपना इतिहास और परंपरा है। ऐसे नियम लाना तमिल समेत हर राज्य का अपमान है, जहां RSS अपनी हुकूमत चलाना चाहता है।
UCC के नए नियमों पर 6 राज्यों ने जताया विरोध
गैर-भाजपा सरकारों वाले राज्य UGC के नए ड्रॉफ्ट का विरोध कर रहे हैं। इनमें कर्नाटक, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल और तमिलनाडु शामिल हैं। उनका कहना है कि मसौदा नियमों को वापस लिया जाना चाहिए। कर्नाटक के उच्च शिक्षा मंत्री एमसी सुधाकर ने कहा कि यह पहली बार है कि सभी समान विचारधारा वाले राज्य, अपने हितों की रक्षा के लिए, संघवाद को बनाए रखने के लिए एकत्र हुए हैं।
6 जनवरी को UGC का ड्रॉफ्ट आया
UGC ने 6 जनवरी को यूनिवर्सिटी-कॉलेजों में वाइस चांसलर, टीचर्स और एकेडमिक स्टाफ भर्ती को लेकर ड्रॉफ्ट रेगुलेशंस जारी किए थे। इस ड्राफ्ट के मुताबिक, राज्य विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति में चांसलर को अधिक शक्तियां दी जाएंगी।
यह कदम राज्यों के अधिकार और संघवाद पर सवाल खड़े कर रहा है। इसका एक कारण है कि चांसलर अक्सर राज्यपाल होते हैं। राज्यपाल केंद्र सरकार के प्रतिनिधि होते हैं। इसी वजह से विपक्षी पार्टियां इस ड्राफ्ट का विरोध कर रही हैं।