मध्य प्रदेश में 2 दिसंबर से शुरू हुई धान खरीदी अगले कुछ दिनों में बाधित हो सकती है। सरकार द्वारा खरीदी गई धान की प्रोसेसिंग कर चावल बनाने और उसे एफसीआई व नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) को सप्लाई करने वाले राइस मिलर्स हड़ताल पर हैं। उनका कहना है कि सरकार पर उनका करीब 1,000 करोड़ रुपये बकाया है, लेकिन अधिकारी उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहे।
बुधवार को राइस मिलर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने मंत्रालय में मुख्यमंत्री से मुलाकात की, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। इससे पहले, राइस मिलर्स ने नागरिक आपूर्ति निगम के ऑफिस में जाकर एमडी पीएन यादव को मिलों की चाबियां सौंप दीं।
धान खरीदी हो सकती है प्रभावित
राइस मिलर्स का कहना है कि सरकार के नियमों के अनुसार, धान खरीदी के लिए 54% नया वारदाना और 46% पुराना वारदाना उपयोग किया जाता है। नया वारदाना सरकार उपलब्ध कराती है, लेकिन पुराना वारदाना राइस मिलर्स को देना पड़ता है। उन्हें पुराने वारदाने के लिए मिलने वाला किराया भी अब तक नहीं दिया गया है। मिलर्स ने साफ कहा है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे हड़ताल जारी रखेंगे और वारदाना भी उपलब्ध नहीं कराएंगे।
अपग्रडेशन राशि के बिना चावल जमा करना संभव नहीं
राइस मिलर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष आशीष अग्रवाल ने सीएम से मिलने के बाद दैनिक भास्कर से बात की।
उन्होंने बताया कि बुधवार को चावल उद्योग महासंघ के प्रतिनिधिमंडल ने वल्लभ भवन में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और पीएस से मुलाकात की।
इस दौरान 9 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा गया। उन्होंने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि धान मिलिंग के बाद निकलने वाले ब्रोकन और रिजेक्शन की भरपाई के लिए मप्र सरकार द्वारा मिलर्स को अपग्रडेशन राशि दी जाती है। बिना इस राशि के एफसीआई में चावल जमा करना संभव नहीं है।
पीएस ने बदली व्यवस्था तो सरकार के 1800 करोड़ बचे
अग्रवाल ने बताया कि 2020-21 में तत्कालीन पीएस फैज अहमद किदवई ने रिपोर्ट दी थी कि अगर मिलर्स को अपग्रडेशन राशि दी जाती है, तो सरकार पर केवल 200 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। लेकिन अगर यह राशि नहीं दी गई, तो चावल का परिवहन, भंडारण और अन्य खर्चों के चलते सरकार को 1800 करोड़ का नुकसान होगा।
इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने तीन साल तक (2020-21, 2021-22 और 2022-23) यह राशि दी, लेकिन अब इसे रोक दिया गया है।
पुराने उद्योगों को बचाने की अपील
अग्रवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री प्रदेश में नए उद्योग लगाने के लिए इन्वेस्टर मीट कर रहे हैं और विदेशों में जाकर निवेशकों को बुला रहे हैं। लेकिन राज्य के पुराने उद्योग, जो पहले से लाखों लोगों को रोजगार दे रहे हैं, संकट में हैं।
वित्त विभाग से असहमति बना संकट का कारण
अग्रवाल ने कहा कि वित्त विभाग की असहमति के कारण हमारी समस्याओं का समाधान लंबित है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष राइस मिलर्स ने सरकार के भरोसे पर बैंकों से कर्ज लेकर धान की मिलिंग की, लेकिन अब वे कर्ज के बोझ तले दब गए हैं। यदि जल्द ही 200 करोड़ रुपये की अपग्रडेशन राशि प्रदान नहीं की गई, तो 2024-25 की धान खरीदी के लिए मिलिंग अनुबंध संभव नहीं होगा।