भोपाल । भारतीय जनता पार्टी अब मालवांचल के सहारे ही 2023 के विधानसभा चुनाव में वापसी की तैयारी कर रही है। पार्टी का पहला लक्ष्य नगरीय निकाय चुनाव में सफलता पाना है। दरअसल, मालवा-निमाड़ में हुए नुकसान के कारण ही 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा सत्ता से वंचित हुई थी। मालवांचल में 66 सीट में से भाजपा को मात्र 27 सीटें मिली थी। इस नुकसान की कुछ हद तक भरपाई भाजपा ने 28 विधानसभा क्षेत्रों में हुए उपचुनाव से कर ली। मालवा-निमाड़ अंचल में पार्टी सात में से छह सीट पर विजयी रही। इंदौर संभाग में 37 विधानसभा सीटों में से भाजपा के पास पहले नौ सीटें थीं, जो बढ़कर अब 12 हो गई हैं। वहीं, उज्जैन संभाग में 29 में से 18 सीटें भाजपा को मिली थीं, जो अब 21 हो गई हैं। भाजपा ने उपचुनाव में इंदौर में वार रूम बनाया और आक्रामक लड़ाई लड़ी, वहीं कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत ग्वालियर-चंबल इलाके में झोंक दी, जिसका खामियाजा उसे उठाना पड़ा।
29 सीट के नुकसान के कारण गई थी सरकार
वर्ष 2003 से लेकर 2013 तक के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जब-जब मप्र में सरकार बनाई तब मालवा-निमाड़ के रास्ते ही उसे सफलता मिली थी। 2018 में भाजपा को इस अंचल से निराशा हाथ लगी थी क्योंकि उसे 29 सीटों पर भारी नुकसान हुआ था। यही वजह है कि भाजपा सत्ता से बाहर हो गई थी। इनमें से अधिकांश पर कांग्रेस को बढ़त मिली थी। अब उपचुनाव में भाजपा को मालवांचल से सफलता मिली। पार्टी ने अपनी एक सीट आगर तो खो दी लेकिन बाकी छह सीटें कांग्रेस से छीन लीं।