माईनिंग कॉर्पोरेशन के अधिकारी वोले नही हुआ खदानों का अनुबंध तो सवाल आखिर कैसे फर्जी ठेकेदार बनकर की जा रही लूट।
मुंगावली:- क्षेत्र में सारे नियमों को तांक पर रखकर बेरोकटोक दिन रात वेतवा व केंथन नदी में मशीनों से किये जा रहे अवैध उत्खनन को लेकर चौकाने वाले बात सामने आई है कि यहां खनिज माफिया झूठे ही दावे करके ठेकेदार बनकर धौंस जमाकर लोगों से उगाही करने में लगे हैं। दरसल देखा जाए तो अशोकनगर जिले में आरकेएन फर्म का ठेका तो हुआ है लेकिन अभी तक जिले भर में किसी भी खदान का माईनिंग कॉर्पोरेशन से अनुबंध नही हुआ है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब स्वदेश संवाददाता ने माईनिंग कॉर्पोरेशन के अधिकारी बलराम मेहरा से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि एभी तक किसी भी खदान का अनुबंध ही नही किया है और इनके द्वारा उत्खनन किया जा रहा है तो गलत है। जिसके वाद सवाल खड़ा होता है कि आखिर इन खनिज माफियाओं पर कॉर्पोरेशन से लेकर कलेक्टर, खनिज विभाग, एसडीएम, तहसीलदार व पुलिस के अधिकारियों द्वारा कार्रवाई क्यों नही की जा रही है। क्या इस माफिया पर कार्रवाई करने से सभी अधिकारी अपने आप को बचाते नजर आ रहे है या फिर मौखिक रूप से सहमति देकर नदियों को मशीनों से छलनी करने की अनुमति इस माफिया को दे दी गई है।
वेतवा से निकाली जा रही सैकड़ों डम्फर रेत:-
चौकाने वाली बात तो यह है कि देखा जाए तो शासन द्वारा मुंगावली ब्लॉक में तीन शासकीय खदानें स्वीकृत है उनमे केंथन नदी पर गोरा, कुम्हर्रा और वेतवा नदी पर मदऊखेड़ी ही स्वीकृत घाट हैं। लेकिन क्षेत्र में सक्रिय खनिज माफियाओं के द्वारा इन घाटों से अलग निसई मल्हारगढ़ में वेतवा नदी मैं कई पनडुब्बियां डालकर दिन रात रेत का उत्खनन किया जा रहा है और सैकड़ों डम्फर रेत यहाँ से निकाली जा रही । इसके अलावा केंथन नदी में मतावली, खिरिया के अलावा अन्य गांवों में मशीनों से उत्खनन किया जा रहा है। इसके बाबजूद इस ओर जिम्मदारों की नजर नही जा रही जो कहीं न कहीं प्रश्न खड़ा करती नजर आ रही है।
एनजीटी के नियमों की नही है कोई चिंता:-
खनिज माफियाओं के आगे अधिकारियों द्वारा किस तरह नियमों को अनदेखा किया जा रहा है उसका अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि एनजीटी के सख्त आदेश हैं कि ठेकेदार के द्वारा नदियों में किसी भी तरह की मशीनों का उपयोग नही किया जाएगा और मजदूरों से ही रेत निकाली जाएगी। लेकिन यहां तो अभी ठेकेदार का खदानों का अनुबंध ही नही हुआ है और खनिज माफिया के द्वारा दूसरे घाटों पर जाकर मशीनों से दिन रात नदियों को छलनी किया जा रहा है पर किसी भी तरह की कोई कार्रवाई न होना अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल अवश्य खड़े करता नजर आ रहा है।
रायल्टी है नही दिखाबे को की जा रही कार्रवाई:-
इस पूरे मामले में सबसे चौकाने वाली बात यह है कि जो खनिज माफिया नदियों से उत्खनन करके रेत को ट्रेक्टर वालों को बेंच रहे हैं उनको चोरों की तरह ट्राली को ढक कर लेजाने को कहा जाता है। इनके पास रायल्टी है नही जिसके चलते सिर्फ एक पर्ची दी जाती है। और जब अधिकारियों का मन होता है कि औपचारिकता कर ली जाए तो यह एक या दो ट्रेक्टरों को पकड़कर थाने मैं रख देते है। तो इन अधिकारियों को नदियों पर जाकर उत्खन्नकर्तायों व पर्ची देने वाले खनिज माफियाओं पर कार्रवाई करना चाहिए जो 2300 रुपए लेकर एक ट्राली को भरते हैं और उसके बाद भी ट्रेक्टर चालक चोर कहलाता है।
इनका कहना है।
अभी किसी भी खदान का अनुबंध नही हुआ है इसलिए यदि उत्खनन किया जा रहा है तो गलत है और दूसरे घाटों पर जो उत्खनन किया जा रहा है उस पर खनिज विभाग के अधिकारियों को कार्रवाई करना चाहिए फिलहाल पूरे मामले को देखते हैं।
बलराम मेहरा माईनिंग कॉर्पोरेशन अधिकारी