मोहन सरकार प्रदेश में राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों की अपर कलेक्टर और सीईओ जिला पंचायत के रिक्त पदों पर पदस्थापना नहीं कर पा रही है। प्रशासनिक पदों पर अफसरों की पोस्टिंग में देरी का खामियाजा मार्च में महाशिवरात्रि पर्व के दिन प्रमोट किए गए चालीस संयुक्त कलेक्टर भी भुगत रहे हैं।
संयुक्त कलेक्टर से अपर कलेक्टर पद पर प्रमोट किए जाने के बाद भी ये अधिकारी नौ माह बाद भी जिलों में संयुक्त कलेक्टर के पद पर ही काम करने को मजबूर हैं। उधर, सरकार की इस नजरअंदाजी का नुकसान कलेक्टरों को उठाना पड़ रहा है और उन्हें प्रभार के सहारे काम पूरे कराने पड़ रहे हैं।
जिलों में प्रशासनिक कार्यों के लिए कलेक्टर के प्रमुख सहायक के रूप में जिला पंचायत सीईओ और अपर कलेक्टर मुख्य भूमिका निभाते हैं, लेकिन हालात यह हैं कि करीब एक दर्जन जिलों में अपर कलेक्टर और सीईओ जिला पंचायत के पद रिक्त हैं।
वहीं, सामान्य प्रशासन विभाग इन पदों पर अफसरों की उपलब्धता के बाद भी पदस्थापना नहीं कर पा रहा है। ऐसे में कलेक्टरों को संयुक्त कलेक्टरों को प्रभार देने या फिर एक पद की जिम्मेदारी निभा रहे अफसर को दूसरे पद का अतिरिक्त प्रभार देकर काम कराना पड़ रहा है।
इसका सीधा असर योजनाओं की मॉनिटरिंग और उसके क्रियान्वयन पर भी पड़ रहा है। इसकी जानकारी सरकार को है। इसके बाद भी पोस्टिंग नहीं की जा रही है।
मार्च में प्रमोशन, पोस्टिंग अब तक नहीं
मार्च में महाशिवरात्रि के दिन आदेश निकालकर राज्य शासन ने करीब 40 संयुक्त कलेक्टरों को अपर कलेक्टर के पद पर प्रमोट किया था। इनमें से कुछ अधिकारियों को तो अपर कलेक्टर के पद पर जिलों में पदस्थ किया गया है, लेकिन पचास फीसदी अफसर पदस्थापना का इंतजार कर रहे हैं और जिलों में संयुक्त कलेक्टर के रूप में काम करने को मजबूर हैं।