केरल में एक किताब के कवर पर बीआर अंबेडकर की सवर्ण कपड़ों वाली तस्वीर पर हंगामा मच गया है। मलयाली मेमोरियल नाम की इस किताब के कवर पर अंबेडकर को कसावु धोती, शर्ट पहने और सामंती घर में बैठे दिखाया गया है। इस किताब को डीसी बुक्स ने प्रकाशित किया है।
इस किताब के बारे में कई लोगों का कहना है कि यह अंबेडकर की विरासत को नुकसान पहुंचाने की कोशिश है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि यह किताब बेचने की मार्केटिंग स्ट्रैटजी है।
दलित कार्यकर्ताओं ने इस कदम को बताया गलत
इंडिया टुडे के मुताबिक, इस तस्वीर को लेकर दलित एक्टिविस्ट सनी एम कपिकड़ ने बताया कि अंबेडकर को इस रूप में दिखाना उनके फॉलोअर्स के ऊपर हमला है। अंबेडकर के नैयर घर के सामने बैठे होने की कल्पना करना ही अपने आप में एक हमला है।
उन्होंने यह भी कहा कि महात्मा गांधी की तस्वीर भी यहां है, लेकिन उनकी तस्वीर वैसी ही है जैसी हमने हमेशा से देखी है। हमने तस्वीरों में गांधी को कोट और सूट में भी देखा है लेकिन अंबेडकर के मामले में ऐसा नहीं है। मेरे हिसाब से यह अंबेडकर पर जबरदस्ती की पहचान चढ़ाने और कंट्रोवर्सी शुरू करके मार्केट में जगह बनाने का एक षड्यंत्र है।
किताब के लेखक ने लोगों से की किताब पढ़ने की अपील
दलित कार्यकर्ताओं ने यह सवाल भी उठाया है कि डीसी बुक्स जैसा बड़ा पब्लिकेशन हाउस ऐसे काम का समर्थन कैसा कर सकता है। मलयाली मेमोरियल किताब को उन्नी आर नाम के लघु-कथा लेखक ने लिखा है। इस विवाद के उठने के बाद उन्नी आर ने लोगों से कहा है कि वे इस कवर के पीछे की भावना को तभी समझ पाएंगे जब वे किताब पढ़ेंगे।
मद्रास हाईकोर्ट का निर्देश- तमिलनाडु के सभी लॉ कॉलेजों में लगे अंबेडकर की तस्वीर
मद्रास हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि तमिलनाडु के सभी लॉ कॉलेजों में डॉ. बीआर अंबेडकर की तस्वीर लगाई जाए। यह निर्देश कॉलेज से निलंबित छात्र की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। दरअसल, कॉलेज अथॉरिटी की तरफ से अनुसूचित जाति के छात्र पर कार्रवाई की गई थी। इसके खिलाफ छात्र ने हाई कोर्ट की मदुरै बेंच में याचिका लगाई, जिसके बाद कोर्ट ने यह आदेश दिया।