आज पूरे देश में राखी का त्योहार मनाया जा रहा है। भारतीय खिलाड़ी भी इसे मनाने में पीछे नहीं रहते। आज हम आपको उन 5 क्रिकेटरों के बारे में बताएंगे जिनकी कामयाबी के पीछे उनकी बहनों का हाथ रहा और अगर बहनें ना होतीं तो शायद वो क्रिकेटर भी नहीं बन पाते।
क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले सचिन की जिंदगी बहन के प्यार के बगैर अधूरी है। उनकी बहन का नाम सविता है और वो सचिन के पिता रमेश तेंदुलकर की पहली पत्नी की बेटी हैं। सचिन ने कई बार अपनी सफलता का श्रेय उन्हें दिया है। सचिन ने जब 200 टेस्ट मैच खेलने के बाद क्रिकेट को अलविदा कहा तो उस समय उन्होंने अपनी स्पीच में कहा था कि उन्हें पहला कश्मीरी विलो क्रिकेट बैट उनकी बहन ने ही गिफ्ट किया था। इतना ही नहीं सचिन के हर मैच में बहन उपवास भी रखती थीं। इस उम्मीद में कि भाई का बल्ला जमकर बोले और रनों का अंबार लगा दे।
टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी हरभजन सिंह की गिनती भारत के ग्रेट स्पिनर्स में की जाती है। पंजाब के रहने वाले इस क्रिकेटर की 5 बहनें हैं, जिनमें चार उनसे बड़ी हैं और एक बहन छोटी है। भज्जी को 1998 में भारत के लिए डेब्यू करने का मौका मिल गया था, लेकिन जल्द ही वह टीम से बाहर हो गए थे।
बेहद कम लोग जानते हैं कि उसके कुछ दिन बाद वह क्रिकेट छोड़कर ट्रक ड्राइवर बनने चले गए थे। दरअसल, साल 2000 में उनके पिता का निधन हो गया था, जिसके बाद मां और पांच बहनों की जिम्मेदारी उन्हीं पर आ गई थी। ऐसे में उन्होंने यह ठान लिया था कि वह कनाडा जाकर ट्रक चलाएंगे और पैसे कमाएंगे, लेकिन बहनों की सलाह पर रुक गए और क्रिकेट खेलते रहे। साल 2000 की रणजी ट्रॉफी में उन्होंने शानदार प्रदर्शन कर टीम इंडिया में जगह बनाई थी। फिर जो हुआ, वह इतिहास है। अगर बहनों ने नहीं रोका होता तो मैच विनर स्पिनर नहीं मिलता।