उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के तीस सदस्य देशों ने स्वीडन व फिनलैंड को नाटो की सदस्यता के लिए हरी झंडी दिखा दी है। मंगलवार को इन देशों ने नाटो में स्वीडन व फिनलैंड की स्वीकार्यता संबंधी परिग्रहण मसौदे (एक्सेशन प्रोटोकॉल) पर हस्ताक्षर किए।
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद नाटो देशों के समीकरण बदले हैं। इसी बीच स्वीडन और फिनलैंड ने नाटो का सदस्य बनने के लिए औपचारिक आवेदन किया था। रूस की चेतावनी के बावजूद आए इन आवेदनों पर तेजी से विचार हुआ। मंगलवार को नाटो मुख्यालय में नाटो से जुड़े तीस देशों के राजदूतों ने फिनलैंड के विदेश मंत्री पेक्का हाविस्टो और स्वीडन की विदेश मंत्री एन लिंडे की उपस्थिति में फिनलैंड और स्वीडन के लिए एक्सेशन प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए। पिछले सप्ताह मैड्रिड शिखर सम्मेलन में नाटो के मित्र देशों के नेताओं ने तुर्की, फिनलैंड और स्वीडन के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते के बाद फिनलैंड और स्वीडन को संगठन में शामिल होने पर सहमति व्यक्त की थी।
नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने इस अवसर को फिनलैंड, स्वीडन और नाटो देशों की साझा सुरक्षा के लिए एक ऐतिहासिक क्षण करार दिया। उन्होंने कहा कि नाटो के दरवाजे यूरोपीय लोकतंत्रों के लिए खुले हैं जो हमारी साझा सुरक्षा में योगदान देने के लिए तैयार और इच्छुक हैं। उन्होंने कहा कि 32 देशों के साथ नाटो को और मजबूती मिलेगी। इस समय नाटो देश पिछले कई दशकों के सबसे बड़े सुरक्षा संकट का सामना कर रहे हैं, इस फैसले से सुरक्षा का भाव भी बढ़ेगा।