किसी विवाहित महिला को जबरन प्रेगनेंट करना मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी
ऐक्ट के तहत रेप माना जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक केस की
सुनवाई करते हुए यह बात कही। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी ऐक्ट के तहत
गर्भपात के नियमों को तय किया गया है। इस पर ही सुनवाई करते हुए अदालत ने
कहा कि विवाहित महिला की तरह ही अविवाहित युवतियां भी बिना किसी की मंजूरी
के 24 सप्ताह तक गर्भपात करा सकती हैं। अदालत ने इस दौरान साफ तौर पर कहा
कि विवाहित हो या फिर अविवाहित महिला सभी को सुरक्षित अबॉर्शन का अधिकार
है।