न्यूयॉर्क में भारतीय मूल के ब्रिटिश-अमेरिकी लेखक सलमान रुश्दी पर जानलेवा हमला करने वाला आरोपी उनके जिंदा बच जाने से हैरान है। 24 साल के हादी मतार ने 12 जुलाई सुबह 11 बजे चौटाउक्वा इंस्टीटयूशन पहुंचे रुश्दी पर चाकू से 10-15 बार हमला किया था।
न्यूयॉर्क पोस्ट को दिए गए इंटरव्यू में आरोपी मतार ने कहा- जब मैंने सुना कि वो बच गए हैं तो मैं सरप्राइज था। मुझे लगा नहीं था कि वे बच पाएंगे। मैं ईरान के धार्मिक नेता अयातुल्ला का सम्मान करता हूं। मुझे लगता है कि वह एक महान व्यक्ति हैं। मैंने रुश्दी के उपन्यास के कुछ पन्ने पढ़े थे। मैं उसके (रुशदी) बारे में इतना ही कहूंगा कि मुझे वह व्यक्ति पसंद नहीं है। मुझे नहीं लगता कि वह अच्छा इंसान है। उसने इस्लाम पर हमला किया। उसने इस्लाम मानने वालों की मान्यताओं और विश्वास पर हमला किया।
हमले का ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड से नहीं कोई लिंक
मातर
शिया चरमपंथ और ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के
प्रति सहानुभूति रखता है। जांच एजेंसियां इस एंगल पर छानबीन कर रहे थे,
लेकिन आरोपी ने बताया कि वो ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड के संपर्क में नहीं
था। उसने ये हमला किसी के कहने पर नहीं किया। मतार ने कहा कि उसे किसी
ट्वीट के पता चला था कि रुश्दी चौटौक्वा इंस्टीट्यूशन में होने वाले एक
प्रोग्राम में शामिल होंगे।
हमले की वजह साफ नहीं
रुश्दी
के खिलाफ 33 साल पहले उन्हें जान से मारने का फतवा जारी किया गया था। ये
फतवा उनकी लिखी किताब ‘द सैटेनिक वर्सेस’ को लेकर जारी हुआ था। किताब से
इस्लामिक कट्टरपंथी भड़क गए थे। न्यूयॉर्क में उन पर हुए हमले को इससे जोड़
कर देखा जा रहा है। हालांकि, आरोपी मतार ने अभी तक इस बात का खुलासा नहीं
किया है कि उसने हमला क्यों किया था।