यूक्रेन युद्ध के बीच रूस के एक फैसले से पूरी दुनिया को बड़ी राहत मिल
सकती है। तुर्की (तुर्किये) का कहना है कि रूस अनाज समझौते को फिर लागू
करने को तैयार हो गया है। माना जा रहा है कि पुतिन ने तुर्की की बात मान ली
है क्योंकि यह समझौता उसी मध्यस्थता से हुआ था। रूस के रक्षा मंत्री ने
तुर्किये के अपने समकक्ष से कहा है कि तुर्किये व संयुक्त राष्ट्र की
मध्यस्थता वाले समझौते को रूस फिर से लागू करने पर सहमत हो गया है। इस
समझौते के तहत काले सागर के रास्ते लाखों टन अनाज पोत के जरिए यूक्रेन से
बाहर भेजा जा सकेगा। तुर्किये के राष्ट्रपति ने यह जानकारी दी।
राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने कहा कि रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु
ने तुर्किये के अपने समकक्ष हुलुसी अकार से बात की और उन्हें सूचित किया कि
बुधवार से अनाज गलियारा समझौता “वैसा ही रहेगा जैसा वह पहले था”। एर्दोआन
ने बुधवार को कहा कि यह समझौता सोमालिया, जिबूती और सूडान सहित अफ्रीकी
देशों के लिए अनाज के नौवहन को प्राथमिकता देगा। रूस ने चिंता व्यक्त की थी
कि अधिकांश अनाज अमीर देशों में पहुंच रहा है।
रूस ने काला सागर में अपने बेड़े के खिलाफ यूक्रेनी ड्रोन हमले के
आरोपों का हवाला देते हुए सप्ताहांत में अनाज समझौते में अपनी भागीदारी को
निलंबित कर दिया था। रूसी रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि दक्षिणी
यूक्रेन में बंदरगाहों से जहाज यातायात रोक दिया गया था, इस आवाजाही को
“अस्वीकार्य” बताया गया था।
अनाज से लदे जहाज मंगलवार को यूक्रेन से रवाना हुए जो भूख से जूझ रहे दुनिया के कुछ हिस्सों के लिए महत्वपूर्ण खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं। संयुक्त राष्ट्र ने हालांकि कहा था कि जहाज बुधवार को आगे नहीं बढ़ेंगे, जिससे भविष्य में पोतों की आवाजाही को लेकर चिंता बढ़ गई है। यूक्रेन में रूस के युद्ध के दौरान अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया के कुछ हिस्सों को काला सागर क्षेत्र से अनाज और अन्य भोजन की आपूर्ति सुनिश्चित कराने के लिये संयुक्त राष्ट्र और तुर्किये ने जुलाई में रूस और यूक्रेन के साथ अलग-अलग समझौता किया था।