नए साल में पुलिस साइबर अपराधों पर नकेल कसने और सामुदायिक पुलिसिंग को और मजबूत करने के लिए हाईटेक कदम उठाने जा रही है। इसके लिए विस्तृत योजना तैयार कर ली है। साइबर फ्रॉड के मामलों में तेज कार्रवाई के लिए बैंकिंग डेस्क की स्थापना की जा रही है। डिजिटल लेनदेन और जोखिम वाले खातों की निगरानी के साथ सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल का गठन भी होगा।
साइबर विशेषज्ञ और प्रशिक्षण पर जोर
2025 में पुलिस को साइबर सुरक्षा में दक्ष बनाने के लिए प्रमुख साइबर विशेषज्ञों से प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। सभी थानों की साइबर हेल्प डेस्क और जोन टेक सेल के कर्मियों को नवीनतम तकनीकों की जानकारी दी जाएगी। फॉरेंसिक ट्रेनिंग के तहत पुलिस कर्मियों को डेटा एक्सट्रैक्शन और सही प्रक्रिया के लिए जीएफएसयू, एनएफएसयू जैसी संस्थाओं में प्रशिक्षण मिलेगा। हर जोन से प्रशिक्षकों का चयन कर उन्हें साइबर अपराध डिटेक्शन तकनीकों पर विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा। ये प्रशिक्षक आगे अन्य पुलिसकर्मियों को भी प्रशिक्षित करेंगे। साथ ही, पुलिस को आई-4सी, आईएफएसओ और सीडीटीआई जैसे संस्थानों का दौरा कराकर वहां की आधुनिक तकनीक से परिचित कराया जाएगा।
डिजिटल अपराधों पर पैनी नजर
पुलिस साइबर फ्रॉड में डेटा एनालिसिस और पूछताछ की नई तकनीक पर काम करेगी। आरोपियों से पूछताछ कर डेटा चोरी के स्रोत और उपयोग का पता लगाया जाएगा। सोशल मीडिया सेल फेक कंटेंट और साइबर अपराधियों पर नजर रखेगी। बैंकिंग डेस्क और रियल टाइम रिस्पांस टीम की मदद से वित्तीय फ्रॉड के केस में त्वरित कार्रवाई होगी।
आम जनता के लिए जागरूकता अभियान
सरकारी, अर्ध-सरकारी और प्राइवेट संस्थानों में साइबर फ्रॉड से बचाव पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। बुजुर्ग और पेंशनधारकों के लिए विशेष अभियान चलाए जाएंगे। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और सेलेब्रिटीज के माध्यम से साइबर सुरक्षा के संदेश फैलाए जाएंगे।
सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करते हुए, स्थानीय संगठनों और सामुदायिक समूहों को अभियान में जोड़ा जाएगा। थानों में साइबर फ्रॉड जागरूकता शिविर और सार्वजनिक मेलों में विशेष काउंटर लगाए जाएंगे। हेल्पलाइन नंबर 1930 के प्रचार के साथ रिपोर्टिंग को आसान बनाने पर जोर रहेगा। भोपाल पुलिस की यह योजना साइबर अपराधों पर रोक लगाने के साथ आमजन को सुरक्षित डिजिटल अनुभव देने की दिशा में बड़ा कदम है।