आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा हो सकता है। इसकी वजह है देश की सरकारी तेल कंपनियां को हो रहा घाटा। हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) को वित्त वर्ष 2022-2023 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 10,196.94 करोड़ का नुकसान हुआ है। ये किसी भी तिमाही में कंपनी को हुआ सबसे ज्यादा घाटा है।
पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में कंपनी को 1,795 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था। वहीं जनवरी-मार्च तिमाही में यह आंकड़ा 1,900.80 करोड़ रुपए पहुंच गया था। इससे पहले इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) ने भी अप्रैल-जून में 1,992.53 करोड़ रुपए का नेट लॉस दर्ज किया था, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में नेट प्रॉफिट 5,941.37 करोड़ रुपए और जनवरी-मार्च तिमाही में 6,021.9 करोड़ रुपए था।
घाटे की भरपाई के लिए बढ़ सकते हैं दाम
देश की दो दिग्गज सरकारी कंपनियों को सैकड़ों करोड़ के घाटे से उबरने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले दिनों में कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ा सकती हैं, ताकि इस नुकसान की भरपाई की जा सके।
महंगा तेल लेकर सस्ता बेचने से हुआ घाटा
अप्रैल-जून क्वार्टर में भारत में कच्चे तेल का इंपोर्ट औसतन 109 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल पर था, लेकिन रिटेल पंप की पेट्रोल-डीजल के दाम लगभग 85-86 डॉलर प्रति बैरल के हिसाब से थीं। इससे कंपनियों को नुकसान हुआ। IOCL ने अप्रैल-जून तिमाही के दौरान पेट्रोल और डीजल 10 रुपए और 14 रुपए प्रति लीटर के नुकसान पर बेचा।
कच्चे तेल का भाव 100 डॉलर प्रति बैरल
रूस-यूक्रेन जंग के कारण कच्चे तेल के दामों में भारी अस्थिरता बनी हुई है। कच्चा तेल लंबे समय से 100 डॉलर प्रति बैरल के करीब कारोबार कर रहा है। इस कारण भारतीय कंपनियों को भी महंगा कच्चा तेल इंपोर्ट करना पड़ रहा है। हालांकि भारत ने रूस से डिस्काउंट वाला कच्चा तेल भी खरीदा है। कितना खरीदा और किस रेट में खरीदा है इसका जानकारी अभी सामने नहीं आई है।
सरकार ने कहा है कि तेल कंपनियां खुदरा कीमतों में संशोधन करने के लिए स्वतंत्र हैं। हालांकि तीनों सरकारी तेल कंपनियों ने दरों को फ्रीज करने के कारणों के बारे में जानकारी नहीं दी है।