NSA अजीत डोभाल दो दिन के रूस दौरे पर हैं। बुधवार को उन्होंने रूस के सुरक्षा सलाहकार निकोलाई पत्रुशेव से मुलाकात की। माना जा रहा है कि इस दौरान अफगानिस्तान, आतंकवाद और रूस-यूक्रेन जंग पर बातचीत हुई। डोभाल रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से भी मिल सकते हैं। बहरहाल, इस दौरे को लेकर पाकिस्तान टेंशन में है। इसकी वजह यह है कि अफगानिस्तान में रूस और भारत नई रणनीति पर काम कर रहे हैं। तालिबान को भी भरोसे में लिया जा रहा है। पाकिस्तान इससे अलग-थलग महसूस कर रहा है। उसे लगता है कि रूस और भारत मिलकर अफगानिस्तान में उसके साजिशी मंसूबे नाकाम कर देंगे।
चीन भी अफगानिस्तान में बड़ी दखलंदाजी की कोशिश कर रहा है। वो यहां से यूरोप तक बेल्ट एंड रोड कॉरिडोर निकालना चाहता है। भारत, अमेरिका और यूरोपीय देश उसकी इस कोशिश को नाकाम करने के लिए कमर कस चुके हैं।पाकिस्तान परेशान क्यों
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अगस्त 2021 को तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया था। तब पाकिस्तान को
लग रहा था कि अब तो उसकी मनमानी चलेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान ने
तालिबान को अमेरिका के खिलाफ भरपूर सपोर्ट दिया। ISI ने तालिबान को खूब
हथियार और पैसे दिए। दूसरी तरफ, वो अमेरिका को भी भरोसे में लेता रहा।
हालांकि, जब तालिबान हुकूमत आए तो उन्होंने पाकिस्तान और ISI को भाव देना मुनासिब नहीं समझा। अब तालिबान भारत की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है। भारत ने अफगानिस्तान में करीब 23 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया था। 20 साल में अफगानिस्तान में विकास से जुड़े कई काम किए। ऐसे में तालिबान भारत के साथ अच्छे संबंध रखना चाहता है। अफगानिस्तान की संसद के अलावा कई इमारतें, स्कूल, हॉस्पिटल और एजुकेशन सेंटर ऐसे हैं जो भारत ने वहां बनाए।