दरार- 7 जुलाई 21… केंद्रीय मंत्रिमंडल में अकेले RCP सिंह को शामिल किया। ललन सिंह रह गए।
खाई- 31 जुलाई 22…जेपी नड्डा ने पटना में कहा- देश से सारी क्षेत्रीय पार्टियां खत्म हो जाएंगी, रहेगी तो सिर्फ BJP
भाजपा-जेडीयू की दरार 389 दिन में खाई में बदल गई…। जाहिर है, नीतीश कुमार और बीजेपी की राहें अलग होने की स्क्रिप्ट एक सप्ताह या एक महीने में तैयार नहीं हुई है। बिहार विधानसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद से ही नीतीश मौके की तलाश में थे। एनडीए में शामिल वीआईपी के सभी 3 विधायकों को तोड़कर भाजपा ने जब अपनी पार्टी में मिला लिया, तब से नीतीश और सजग हो गए। उन्हें समझ में आ गया कि भाजपा अपनी सहयोगी पार्टी को भी नहीं छोड़ेगी।
इसी बीच महाराष्ट्र में उद्धव सरकार का गिरना और RCP सिंह से बढ़ती बीजेपी की नजदीकियाें से नीतीश और डर गए। फिर उन्होंने खामोशी से अपनी राह पकड़ ली। भविष्य में किसी भी खतरे से निपटने के लिए उन्होंने पहले ही सब कदम उठा लिए।