मध्यप्रदेश में दो दिन से हो रही बारिश से नदी-नाले उफना गए हैं। कई बांधों के गेट खोलकर पानी छोड़ा जा रहा है। मध्यप्रदेश में अब तक 24 इंच बारिश हो चुकी है। सामान्य बारिश का कोटा 23 इंच का है। यानी 1 इंच ज्यादा पानी गिर गया है। भोपाल में बुधवार को 6 घंटे में ढाई इंच बारिश हुई। भोपाल शहर के लगभग सभी प्रमुख बाजारों और सड़कों पर पानी भर गया। कोलार डैम के 8 में से 2 गेट खोलना पड़े। बाग मुगालिया में तेज बारिश से झरना फूट पड़ा और 20 से ज्यादा दुकानों में 2 फीट तक पानी भर गया।
इंदौर शहर में बारिश की वजह से 7 में से 3 तालाब ओवरफ्लो हो गए। एक तालाब लबालब है। 3 तालाब भी लगभग भर चुके हैं। यशवंत सागर के दो गेट खोलना पड़े। कई इलाकों में घुटनों तक पानी भर गया। सड़कों पर कारें बहती नजर आईं।
ग्वालियर-शिवपुरी फोरलेन हाईवे (एनएच-46) पर मुड़खेड़ा टोल प्लाजा से पहले अमर नदी पर बने पुल का एप्रोच स्लैब धंसक गया। ऐसा बारिश के कारण एप्रोच वाले हिस्से के नीचे की मिट्टी बह जाने से हुआ। 2015 में तैयार हुए इस पुल पर NHAI (नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) ने हादसे की आशंका को देखते हुए फोरलेन हाईवे को 3 किलोमीटर तक सिंगल-वे कर दिया है।
उज्जैन और आसपास के इलाकों में हो रही भारी बारिश से शिप्रा नदी भी उफान पर आ गई। बुधवार सुबह ही नदी के किनारे जलमग्न हो गए थे। इसके बाद दिन में तेजी से नदी का पानी बढ़ना शुरू हुआ और रात होते-होते नदी का पानी बड़े पुल को पार कर गया। बाढ़ की वजह से नदी किनारे रहने वाले लोगों को बाहर निकाला गया। कई लोग अपने घरों की ऊपरी मंजिल पर पहुंच गए। नदी का जलस्तर अचानक बढ़ने से नदी किनारे खड़ी कारें बहने लगीं, जिन्हें खींचकर बाहर निकालना पड़ा। रतलाम में कुरेल नदी के पुल पर पानी आ जाने से रतलाम-खाचरौद मार्ग बंद रहा।
तवा बांध से छोड़े जा रहे पानी से खंडवा में इंदिरा सागर बांध का जलस्तर 260 मीटर तक पहुंच गया। बुधवार रात 10 बजे इंदिरा सागर बांध के 12 गेट खोले गए। 2154 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। पावर हाउस में बिजली उत्पादन की 8 टरबाइन के जरिए भी 1840 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। यानी बांध से कुल 3994 पानी छोड़ा जा रहा है। आज ओंकारेश्वर डैम के 12 गेट भी खोले जा सकते हैं।