जोरदार बारिश से मध्यप्रदेश का अधिकतर हिस्सा तर और तृप्त दिख रहा है। मालवा के डैम, नदियां और झरने सब अपने शबाब पर हैं। मंगलवार और बुधवार को भारी बारिश से इंदौर का यशवंत सागर हो या सिरपुर तालाब, उज्जैन का गंभीर डैम हो या देवास में शिप्रा, कालीसिंध नदियां सब उफान पर आ गई हैं। वहीं रतलाम के सैलाना में स्थित केदारेश्वर झरना बेहद खूबसूरती हो गया है। दैनिक भास्कर की टीम ने ड्रोन कैमरे से डैम और उफनती नदियों को कैप्चर किया। भोपाल के केरवा डैम की भी तस्वीरें मनमोह लेने वाली हैं, तो वहीं जबलपुर का बरगी डैम पर्यटकों का फेवरेट विजिटिंग स्पॉट बना हुआ है।
प्रदेश में भारी बारिश का दौर जारी है। लेकिन अभी भी 26 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है। निमाड़ और भोपाल-नर्मदापुरम प्रदेश का ऐसा बेल्ट है जहां सभी जिलों में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है। मालवा में भी 11 में से 9 जिलों में सामान्य या उससे ज्यादा बारिश है। सागर-बुंदेलखंड और विंध्य महाकौशल बारिश में पिछड़ गए हैं। दमोह में तो सामान्य से आधी ही बारिश हो पाई है।
मध्य प्रदेश में आधा सूखा, आधा तर, ऐसा क्यों
माना जा रहा है कि अरब सागर की तरफ से आने वाला मानसून इस बार ज्यादा एक्टिव हो गया है। यह मानसून बुरहानपुर, बड़वानी के रास्ते आता है और इंदौर समेत पूरे मालवा-निमाड़ में बरसता है। इन्हीं इलाकों में इस बार सबसे ज्यादा बारिश दर्ज की गई है।
जिन इलाकों में बारिश कम हुई है, वे बुंदेलखंड, विंध्य, महाकौशल के हैं। ये वे इलाके हैं जो बारिश के पूरी तरह बंगाल की खाड़ी से आने वाले मानसून पर निर्भर हैं। जंगल और पहाड़ अधिक होने से यहां अमूमन ज्यादा बारिश होती रही है और मप्र का चेरापूंजी लांज भी इसी क्षेत्र में आता है। इस बार यह पूरा इलाका बारिश में पिछड़ता दिख रहा है।
यह बात ऐसे भी प्रमाणित हो रही...
इस बार बंगाल की खाड़ी के बजाय अरब सागर से आने वाला मानसून ज्यादा बरस रहा है, इसकी एक प्रमाणिकता छिंदवाड़ा से भी साबित होते दिख रही है। चूंकि विंध्य महाकौशल में इकलौता छिंदवाड़ा ऐसा इलाका है जहां अरब सागर का मानसून भी पहुंचता है, वहां पूरे विंध्य महाकौशल में सबसे ज्यादा 150% से ज्यादा बारिश हुई है। बाकी सभी जिले इसके आसपास भी नहीं हैं।
इसी तरह भोपाल, नर्मदापुरम में भी अच्छी बारिश हुई है। इस इलाके में हरदा, बैतूल, राजगढ़ जैसे कई जिले ऐसे हैं, जहां अरब सागर का मानसून पहुंचता है।