भोपाल के रवीन्द्र भवन में मध्यप्रदेश दुग्ध संघ और नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) के बीच केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में एमओयू हुआ। रविवार को हुए इस एमओयू के बाद अब दुग्ध संघ का प्रबंधन एनडीडीबी के हाथों में होगा।
नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के सीईओ अब दुग्ध संघ के प्रबंधन का काम संभालेंगे। बाकी कर्मचारी राज्य सरकार के अधीन काम करते रहेंगे। इस अनुबंध को लेकर पशुपालन एवं डेयरी मंत्री लखन पटेल से यह जाना कि दुग्ध संघ और एनडीडीबी क्या काम करेंगे?
सवाल- एमओयू के बाद सांची का नाम बदल जाएगा? जवाब- नहीं, सांची का नाम नहीं बदला जाएगा।
सवाल- दुग्ध संघों का क्या विलय हो जाएगा? जवाब- नहीं। मप्र के सभी 6 दुग्ध संघ- इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, सागर काम करते रहेंगे।
सवाल- इस एमओयू से क्या बदलाव होगा? जवाब- मप्र में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए एनडीडीबी दुग्ध सहकारी समितियों का विस्तार करेगा। पूरे प्रदेश में दुग्ध समितियों की संख्या 6 हजार से बढ़ाकर 9 हजार होंगी।
सवाल- दूध उत्पादन क्षमता कितनी बढ़ेगी? जवाब- मध्यप्रदेश में फिलहाल प्रतिदिन लगभग 10 लाख लीटर दुग्ध संग्रहण किया जा रहा है। इस क्षमता को बढ़ाकर 20 लाख लीटर प्रतिदिन किया जाएगा।
सवाल- दूध उत्पादन बढ़ाने की क्या रणनीति है? जवाब- दूध उत्पादक किसानों को समितियों के माध्यम से जोड़कर दूध कलेक्शन बढ़ाएंगे। ज्यादा दूध देने वाली गाय, भैंस की नस्ल सुधार का काम किया जाएगा।
सवाल- इससे किसानों को क्या फायदा होगा? जवाब- दूध उत्पादक किसानों को समितियों के माध्यम से जोड़ा जाएगा। लगभग 1 लाख 25 हजार नए दूध उत्पादक किसान दुग्ध उत्पादक समितियों से जोड़े जाएंगे।
खंडेलवाल बोले- दूध उत्पादकों की लागत घटे, आमदनी बढ़े एनडीडीबी के साथ अनुबंध के अध्ययन के लिए बनाई गई कमेटी के चीफ और बैतूल विधायक हेमंत खंडेलवाल ने बताया- एनडीडीबी के साथ अनुबंध के पीछे सरकार की मंशा है कि दूध उत्पादकों की लागत 10 रुपए प्रति लीटर तक घटे और आमदनी बढ़े।
खंडेलवाल कहते हैं- दूध उत्पादकों के घरों में गाय के गोबर से जैविक खाद बनाने और गोबर के बायोगैस प्लांट लगाए जाएंगे। इनसे उनका आर्थिक बोझ कम होगा। हरा चारा बनाने वाले प्लांट लगाए जाएंगे। बाजार से चारा खरीदने पर 22 रुपए प्रति किलो की लागत आती है, वहीं हरा चारा 7 रुपए किलो में मिल सकता है।
सांची के बाय प्रोडक्ट देश-विदेश में एक्सपोर्ट होंगे खंडेलवाल बताते हैं कि मध्यप्रदेश में अभी सांची का ज्यादातर काम मिल्क प्रोसेसिंग का है। अब एनडीडीबी मिल्क प्रोडक्शन बढ़ाने से लेकर कलेक्शन, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग पर फोकस करेगा। बोर्ड सांची दूध से बने उत्पादों में अमूल की तरह आइसक्रीम, चॉकलेट, घी, पनीर, श्री खंड जैसे बाय प्रोडक्ट बनाकर देश-विदेश में एक्सपोर्ट करेगा।
सांची के प्लांट्स में लगभग 40 साल पुरानी मशीनरी से काम हो रहा है। एनडीडीबी अब मशीनों के मॉडर्नाइजेशन पर काम करेगा। यानी जरूरत के हिसाब से आधुनिक मशीनें लगाएगा ताकि उत्पादन क्षमता बढ़ सके।
दुग्ध संघों में होगा समन्वय मध्यप्रदेश में अभी 6 दुग्ध संघ हैं, जो अपने-अपने क्षेत्रों में सीमित दायरे में काम कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, यदि भोपाल में पेड़ा का उत्पादन अधिक है और जबलपुर में कम, तो वहां स्थानीय स्तर पर शॉर्टेज की स्थिति बन जाती है।
अब राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) पूरे प्रदेश में उत्पादन से संबंधित कार्यों की निगरानी मध्यप्रदेश दुग्ध महासंघ के माध्यम से करेगा। यह तय करेगा कि किस प्रोडक्ट का कहां कितना उत्पादन है और कहां किस प्रोडक्ट की कितनी खपत है। यदि अन्य राज्यों की बात करें तो जैसे दिल्ली में दूध की खपत तो अधिक है, लेकिन वहां पर्याप्त उत्पादन नहीं होता। ऐसी स्थिति में मध्यप्रदेश से दिल्ली तक दूध की आपूर्ति की जाएगी।