केंद्र संचालक ने गेंहू के साथ जमा कर दिया दस टन भसुआ
मामला सेवा सहकारी संस्था सेहराई केंद्र क्रमांक 02 का जहां नायाब तहसीलदार के आदेश के बादजूद बेयर हाउस में जमा करा दिए गये रेत मिले गेंहू नायव तहसीलदार वोले मना करने के बाद कैसे जमा हो गए गेहूं
मुंगावली:- समर्थन मूल्य पर की जा रही गेंहू खरीदी में केंद्र संचालकों के द्वारा किस तरह मनमानी की जा रही है। इसका अंदाजा रविवार को नायव तहसीलदार शैलेन्द्र भार्गव द्वारा सेवा सहकारी संस्था सहराई के केंद्र क्रमांक 02 पर मिली मनमानी को देखकर लगाया जा सकता है। जहां ख़रीदी में गेंहू के साथ 20 टन लाल रेत मिलाकर वेयर हाउस में अधिकारियों की मिली भगत से जमा करा दिया गया। इस मामले में चौकाने वाली बात यह है कि नायाब तहसीलदार द्वारा सहकारिता विभाग के अधिकरी रवि द्विवेदी को इस खरीदी केंद्र से भेजे गए ट्रेक जमा न कराने के निर्देश दिए लेकिन इसके बाबजूद भी शिवपुरी जिले के पिछोर के जिस बेयर हाइस में गेंहू जमा कराया जा रहा है। वहां नायव तहसीलदार के निर्देश को भी दरकिनार करते हुए पत्थर मिले गेंहू जमा करा लिए जिसको देखकर कहा जावेगा की अधिकारियों की मनमर्जी के चलते गेंहू उपार्जन में भारी मनमानी चल रही है।
बजरी व गोबर मिलाकर कर दी गई सिलाई:-
इस खरीदी केंद्र पर किस तरह मनमर्जी की गई है इसका अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि यहां सिलीं हुई बोरियों को जब खोलकर देखा गया तो उनमें लाल भसुआ व गोबर भरा हुआ मिला। साथ ही जिस गेंहू की तुलाई की जा रही थी उसमें भी लाल भसुआ मिला पाया गया जिसका नायाब तहसीलदार ने पंचनामा बनाया था।
गेंहू में मिलाने डलबाया एक ट्राला भसुआ:-
समिति प्रबंधक नरेश हिंडोलिया व केंद्र संचालक के द्वारा किस तरह मनमानी की गई उसका अंदाजा खरीदी केंद्र पर अस्त व्यस्त पड़े भसुआ के ढेर को देखकर लगाया जा सकता है। यहां मौजूद लोगों का कहना है कि इस ट्राला भसुआ केंद्र संचालक के द्वारा मंगाया गया था और लगभग आधा ढेर भसुआ गेंहू में मिलाकर गोदामों में जमा करा दिया गया है।
क्या करते रहे सर्वेयर और अन्य जिम्मेदार:-
इस तरह दस टन के आसपास भसुआ गेंहू के नाम पर शासकीय गोदामों में जमा हो जाने के बाद सवाल यह उठता है कि आखिर व्यवस्था व गेंहू की गुणवत्ता देखने के लिये सर्वेयर को नियुक्त किया गया तो फिर गेंहू में कैसे भसुआ मिलाकर जमा करा दिया क्या इनको शासन के नुकसान से कोई लेना देना नही है।
आखिर कैसे नायव तहसीलदार के मना करने के बाबजूद जमा हुआ गेंहू:-
इस पूरे मामले में सवाल यह उठता है कि आखिर कैसे नायाब तहसीलदार के मना करने के बाबजूद कैसे अधिकारियों ने यह गेंहू जमा कर लिए क्योकि इनमें भसुआ की मात्रा इतनी है कि यह किसी भी मापदंड को पूरा कर ही नही सकता।
भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी गढ़ रहे कहानियां:-
इस पूरे मामले में जिम्मेदार अधिकारी किस तह लिप्त है और ऐसे कृत्य करने के लिए किस तरह मूक सहमति देते हैं इसका अंदाजा इस पूरे मामले में सहकारिता विभाग के अधिकारी रवि द्विवेदी की बातों को सुनकर लगाया जा सकता है। जब इनसे पूंछा गया कि नायव तहसीलदार के मना करने के बादजूद कैसे भसुआ मिले गेंहू की गाड़ियां जमा करा लीं गई तो इनके द्वारा कहा गया कि उस माल को अपडेट कराया गया। लेकिन जब इनसे सवाल किया गया कि इतने गेंहू को कुछ घण्टों में कैसे अपडेट कराया गया व उसकी वीडियो ग्राफी कराई गई क्या तो यह कोई उचित जबाब नही दे पाए। जिसको देखकर कहा जा सकता है कि सहकारिता विभाग व नान के अधिकारियों की मिलीभगत के आगे राजस्व विभाग के अधिकारियों की कार्रवाई बौनी साबित हुई और नायाब तहसीलदार के मना करने के बाबजूद भसुआ मिला लाखों रुपये कीमत का गेंहू गोदाम में बिना किसी रोकटोक के जमा हो गया।
जांच कराकर दोषियों पर हो मामला दर्ज:-
पूरे मामले को देखा जाए तो समर्थन मूल्य में एक बड़ा गिरोह सक्रिय होने का खुलासा तो हुआआ है जो गरीबों की जान को जोखिम में डालने के लिए और शासन को लाखों का चूना लगाने के लिए दस तन के आसपास भसुआ मिलाकर नायव तहसीलदार की मनाही के बाबजूद गोदामों मै जमा कर दिया। जिसके बाद अब लोगों की मांग है कि कलेक्टर व अन्य जनप्रतिनिधियों के द्वारा गंभीरता बरतते हुये पूरे मामले की जांच की जाना चाहिए। और पिछोर जहां यह भसुआ मिला गेंहू जमा कराया गया है उसकी जांच कराकर समिति प्रबंधक से लेकर सभी दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाना चाहिये जिससे कि आगे से इस तरह की मनमानी न कि जाए।
इनका कहना है:-
मैंने रविवार को सेवा सहकारी संस्था सेहराई के केंद्र क्रमांक 02 का भृमण किया था जहां गेंहू में लाल भसुआ मिला पाया गया था। साथ ही पैक बोरियों में भी भसुआ मिला था जिसके बाद सहकारिता विभाग के रवि द्विवेदी को गाड़िया जमा न कराने के लिए कहा था लेकिन इसके बाबजूद भसुआ मिला गेंहू जमा करा लिया गया है। जिसका प्रतिवेदन एसडीएम के समक्ष प्रस्तुत किया है।
शैलेन्द्र भार्गव नायव तहसीलदार मुंगावली