भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवान कांस्टेबल वीरू लामा ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ और ‘हर घर तिरंगा’ की थीम पर कुमाऊनी भाषा में एक गीत गाया है और इसे देश की मिट्टी को समर्पित किया है।
आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक पांडेय ने बताया कि देश की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर जब राष्ट्र ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रहा है, आईटीबीपी के जवान वीरू लामा ने प्रतीकात्मक तौर पर घुघुति पक्षी को यह विशेष गीत सुनाते हुए आईटीबीपी की ड्यूटी, जवानों की देशभक्ति की भावना और आवश्यकता पड़ने पर इसके लिए प्राण तक न्योछावर करने की बानगी प्रस्तुत की है। वीरू ने इस गीत में सीमा सुरक्षा, कश्मीर घाटी और अन्य क्षेत्रों में देश के जवानों द्वारा आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में की जा रही सेवा का वर्णन किया है। गीत में जवान द्वारा तिरंगे को लगातार अपनी प्रेरणा स्त्रोत के रूप में प्रदर्शित किया गया है।
पहाड़ के सभी क्षेत्रों में मिलने वाली घुघुती (डोव) ऐसा पक्षी है, जिसका यहां के जनमानस से करीबी संबंध है। यहां की माटी के रंगों में रची-बसी और दिखने में बेहद सुंदर घुघुती की आवाज हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित करती है। घुघुती सदियों से पहाड़ी लोकजीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यही कारण भी है कि लोकरंगों में जितनी तवज्जो इस पक्षी को मिली है, उतनी शायद अन्य किसी को नहीं। गढ़वाल और कुमाऊं के लोकगीतों में घुघुती को समान रूप से प्रमुखता मिली है।
उल्लेखनीय है कि आईटीबीपी एक पर्वतीय प्रशिक्षित केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल है और बल ने पिछले 60 सालों में भारत चीन सीमा की सुरक्षा में अद्वितीय भूमिका निभाई है। बल की तैनाती लदाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से लगी सीमाओं पर है जहां अत्यंत सर्द और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में आईटीबीपी के जवान सुरक्षा कर्तव्यों में विशिष्ट भूमिका निभा रहे हैं, बर्फ में तैनाती के कारण बल के जवानों को ‘हिमवीर’ कहा जाता है।
आईटीबीपी के जवान प्रकृति प्रेमी होते हैं और हिमालय की विविधता और इसकी पारिस्थितिकी को बहुत सम्मान देते हैं। पिछले 60 सालों में आईटीबीपी ने सैकड़ों पर्वतारोहण और अन्य साहसिक अभियान संचालित किए हैं।
आईटीबीपी ने गत सालों में हिमालय में कई बड़े और अति साहसिक और चुनौतीपूर्ण रेस्क्यू अभियान किए हैं।