भारत और पाकिस्तान के बीच कोई भी मैच हो, रोमांच हर बार अपने चरम पर होता है। रविवार की देर रात टीम इंडिया ने एशिया कप में पाकिस्तान पर 5 विकेट से जीत दर्ज की और समूचा हिंदुस्तान जश्न में डूब गया। मुकाबले का फैसला 20वें ओवर की चौथी गेंद पर हार्दिक के छक्के से हुआ। आपको लग रहा होगा कि एशिया कप में पहली बार कोई भारत-पाक मुकाबला अंतिम ओवर तक गया। अगर ऐसा सोच रहे हैं तो आप गलत हैं। आज हम एशिया कप के सभी 3 मुकाबलों की पूरी कहानी आपके सामने लाने जा रहे हैं, जब दोनों पड़ोसी देशों के फैंस ने अंतिम ओवर तक पहुंचे मुकाबलों को देखकर दांतों तले उंगलियां दबा ली थीं।
3.सबसे पहले आपको लिए चलते हैं श्रीलंका के दांबुला।
तारीख थी 3 मार्च और साल 2010...! भारत और पाकिस्तान की टीमें वनडे फॉर्मेट वाले एशिया कप में आमने- सामने थीं। पाकिस्तान ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। इस दौरान इंडियन फैंस में एक बैटर को लेकर आशंका थी। ये चाहे कितनी भी खराब फॉर्म में क्यों ना हो, भारत के खिलाफ हर हाल में बड़ा स्कोर करता था। सही पहचाना, बात सलमान बट्ट की हो रही है। वही जिनका क्रिकेटिंग करियर फिक्सिंग ने तबाह कर दिया। खैर, तबतक वह इन सब चक्करों में नहीं पड़े थे। बट्ट और इमरान फरहत की सलामी जोड़ी ने 17वें ओवर तक 71 रन जोड़ दिए।
तभी 25 रन के निजी स्कोर पर भज्जी ने फरहत को चलता कर दिया। 39 रन बनाकर शोएब मलिक भी जहीर खान की बॉल पर बोल्ड हो गए। हालांकि सलमान बट्ट पर किसी गेंदबाज का कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। तब रवींद्र जडेजा और धोनी की जुगलबंदी देखने को मिली। जड्डू का रॉकेट थ्रो और माही की विकेट के पीछे फुर्ती। सलमान बट्ट को समझ ही नहीं आया कि हुआ क्या!
पर हकीकत ये थी कि उनकी 74 रनों की तेज-तर्रार पारी का अंत हो चुका था। एक वक्त 300 रनों के पार जाती दिख रही पाकिस्तानी इनिंग बट्ट के विकेट के बाद उस तेजी से नहीं खेल सकी। कामरान अकमल ने जरूर 41 गेंदों पर 51 रन बनाए लेकिन टीम 50 ओवर की समाप्ति के पहले ही 267 बनाकर ऑल आउट हो गई। दो-चार रन कम बनें लेकिन किसी भी टीम का ऑलआउट होना खिलाड़ियों पर मेंटल प्रेशर क्रिएट करता है।
50 ओवर में 268 का टारगेट चेज करती टीम इंडिया को 47 के स्कोर पर पहला झटका लग गया। मुल्तान के सुल्तान कहे जाने वाले सहवाग 32 गेंदों पर 10 रन बनाकर अब्दुल रज्जाक का शिकार हो गए। ये वही रज्जाक हैं, जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद कहा था कि वह चोट से जूझ रहे हार्दिक पंड्या की फॉर्म चुटकियों में वापस ला सकते हैं। तब इंडिया में इसपर काफी मीम्स बने थे।
विराट भी 18 रन बनाकर पवेलियन की ओर लौट गए। अब वह हुआ, जिसकी डिमांड तो फैंस ने लंबे वक्त तक की लेकिन वह फसाना हकीकत में बहुत कम तब्दील हो सका। महेंद्र सिंह धोनी सेकंड डाउन खेलने उतरे। तीसरे विकेट के लिए धोनी और गंभीर के बीच 98 रनों की साझेदारी हुई। वैसे तो धोनी को लेकर 2011 वर्ल्ड कप के बाद गंभीर की राय बदल गई लेकिन अब तक सब ठीक चल रहा था।
83 रनों की मैराथन पारी खेलने के बाद गंभीर ऑफ स्पिनर सईद अजमल की गेंद पर बोल्ड गए। रोहित शर्मा ने मिडिल ऑर्डर में 22 रनों की पारी खेली। भारत को जीत के लिए 23 गेंदों पर 36 रनों की दरकार थी। फिर वह हुआ, जिसे शोएब अख्तर आज तक नहीं भुला सके हैं। हरभजन ने अख्तर के खिलाफ लॉन्गऑन के ऊपर से बेहद खूबसूरत टाइमिंग के साथ छक्का जड़ दिया। स्टेडियम 'भज्जी-भज्जी' के नारों से गूंज उठा।
इस शॉट को
देखकर कोई नहीं कह सकता था कि यह शॉट एक गेंदबाज ने दुनिया के सबसे फास्ट
बॉलर्स में शुमार स्पीडस्टार को मारा है। 49वें ओवर में रैना ने अख्तर को
छक्का जड़कर जीत का इक्वेशन 11 गेंद में 10 रन का कर दिया। इस ओवर में एक
बार फिर भज्जी और शोएब का आमना-सामना हुआ लेकिन 2 खौफनाक बाउंसर्स के साथ
शोएब ने ओवर समाप्त किया।
अब अंतिम ओवर में जीत के लिए 7 रनों की दरकार।
रैना ने सिंगल को डबल में बदलने का असफल प्रयास किया। ऐन मौके पर रन आउट होकर वह पवेलियन की राह पकड़ चुके थे। प्रवीण कुमार ने अगली 2 गेंदों में 2 रन बनाए। फिर स्ट्राइक रोटेट कर दी। हरभजन इक्के-दुक्के के मूड में नहीं थे। मोहम्मद आमिर को मिड विकेट के ऊपर से जोरदार छक्का और बल्ला हवा में लहराते हुए शोएब अख्तर की तलाश। भारत मुकाबला जीत चुका था और भज्जी का वह जश्न समूचे हिंदुस्तान को नए जोश से भर रहा था। इस दौरान शोएब हाथ से 'चल-चल' का इशारा करते देखे गए थे। दरअसल अख्तर ने सपने में भी नहीं सोचा था कि हरभजन जैसा गेंदबाज उनके खिलाफ इतनी आक्रामकता दिखाएगा। यह लम्हा तमाम इंडियन क्रिकेट फैंस की आंखों में आज भी ताजा है।
2.अब आपको लिए चलते हैं बांग्लादेश के मीरपुर।
तारीख थी 2 मार्च और साल 2014...! एशिया कप के 50 ओवर के उस मुकाबले में पाकिस्तानी कप्तान मिस्बाह-उल-हक ने टॉस जीतकर टीम इंडिया को पहले बल्लेबाजी का न्योता दिया। उस जमाने में भारतीय टीम की कमान रोहित शर्मा नहीं बल्कि विराट कोहली के हाथों में थी। हिटमैन रोहित और गब्बर शिखर की जोड़ी ओपनिंग करने उतरी। अभी तीसरा ही ओवर था कि पाकिस्तानी पार्ट टाइम स्पिनर मोहम्मद हफीज के जाल में शिखर फंस गए। पैर विकेट के आड़े आया और LBW के रूप में टीम इंडिया को पहला झटका।
कप्तान विराट तब अच्छे फॉर्म
में हुआ करते थे लेकिन उस दिन उमर गुल की ऑफ स्टंप से बाहर जाती गेंद से छेड़छाड़ कोहली को भारी पड़ गई। देखते-देखते विराट 5 और अजिंक्य रहाणे 23 रन बनाकर चलते बने। एक वक्त अंबाती रायडू को वर्ल्ड कप टीम में चौथे नंबर के लिए क्यों सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा था, रायडू ने इस मैच में उसका नमूना दिखाया। 58 गेंदों पर 62 रनों की संघर्षपूर्ण पारी। क्या गजब का आत्मविश्वास।
उमर गुल, जुनैद खान और सईद अजमल जैसे बॉलर्स के सामने डंके की चोट पर डटकर खेलते अंबाती। तब टीम इंडिया की लड़खड़ाती पारी को अंबाती रायडू ने संभाल लिया था। आज जिस दिनेश कार्तिक को टीम इंडिया में शामिल करने के लिए ऋषभ पंत को बाहर का रास्ता दिखाया गया है, वह उस मुकाबले में छठे नंबर पर खेलने आए थे। हालांकि 46 बॉल पर 23 रन बनाकर कार्तिक हफीज का शिकार बन गए।
यह परफॉर्मेंस बताती है कि क्यों शानदार बल्लेबाज होने के बावजूद डीके 2005 में डेब्यू करने के बाद हमेशा टीम से अंदर-बाहर होते रहे। अब 200 के अंदर सिमटती नजर आ रही टीम इंडिया को रवींद्र जडेजा ने नाबाद 52 रन बनाकर सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया। उनकी धमाकेदार पारी में 4 चौके और 2 गगनचुंबी छक्के शामिल थे। आखिरकार टीम इंडिया ने 50 ओवर्स की समाप्ति के बाद 8 विकेट गंवा कर 245 रन का स्कोर खड़ा किया।