पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी के प्रमुख इमरान खान ने संसद के 9 निर्वाचन क्षेत्रों से उपचुनाव लड़ने का फैसला किया है। इसके अलावा, PTI ने 13 अगस्त को रावलपिंडी क्रिकेट स्टेडियम में एक बड़ी सभा आयोजित करने की घोषणा की है। ताकि, अगले दिन 14 अगस्त को महारैली कर सरकार पर सत्ता छोड़ने का दबाव बनाया जा सके।
पॉलिटिकल एनालिस्ट्स का मानना है कि 9 सीटों से अकेले इमरान के चुनाव लड़ने से पता चलता है कि PTI उपचुनाव में हार से डरती है। साथ ही इमरान इन 9 सीटों पर अपने किसी भी उम्मीदवार पर भरोसा नहीं जता रहे हैं, उनका मानना है कि उम्मीदवार भाग सकते हैं। इस कारण वे खुद ही मैदान में उतरेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि सारी सीटों को जीतना इमरान के लिए चुनौती होगी।
पहले इन सीटों पर होने वाले चुनावों को आम माना जा रहा था, लेकिन इमरान खान की दावेदारी के बाद लोगों की दिलचस्पी बढ़ गई है। सोशल मीडिया के साथ-साथ राजनीतिक हलकों में कयास लगाए जा रहे हैं कि सत्तारूढ़ पीएमएल-एन इन 9 सीटों पर अलग-अलग नेताओं को उम्मीदवार बनाएगी।
कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि विदेशी फंडिंग मामले में इमरान का नामांकन पत्र भी खारिज किया जा सकता है। राजनीतिक विश्लेषक राणा तारिक ने बताया कि विदेशी फंडिंग मामले में इमरान की छवि को नुकसान पहुंचा है और पीएमएल-एन को मजबूती मिली है। पीपीपी विधायक मौला बख्श ने कहा कि चुनाव आयोग के फैसले के बाद, पीटीआई के समर्थकों को यह मान लेना चाहिए कि इमरान खान भ्रष्टाचार में शामिल हैं।
दान के रूप में इकट्ठा किया गया पैसा पीटीआई को भेज दिया गया। पंजाब के उपचुनाव के दौरान जिसमें पीटीआई सफल रही, लेकिन तब राजनीतिक स्थिति अलग थी। मुख्य चुनाव आयुक्त तय करेंगे कि इमरान चुनाव लड़ भी पाएंगे या नहीं। संवैधानिक विशेषज्ञों का मानना है कि इमरान के 9 सीटों पर चुनाव लड़ने के नामांकन पत्र को खारिज किया जा सकता है। एक उम्मीदवार एक समय में पांच सीटों से चुनाव लड़ सकता है।