6 साल की उम्र में मुंह में दांत ही नहीं आए। घर वालों के साथ गांव वालों को भी यह अजूबा लग रहा था। गांव के लोग बच्चे को बउध बोलकर मजाक उड़ाने लगे, लेकिन एक संत ने कहा- यह बालक देश की राजनीति का हीरो होगा। हम बात कर रहे हैं, पटना से आंदोलन की अलख जगा दिल्ली की सरकार गिराने वाले जयप्रकाश नारायण (जेपी) की। हम जेपी की जन्म स्थली उत्तर प्रदेश के बलिया स्थित जय प्रकाश नगर पहुंचे। जेपी के साथ रहे गांव के बुजुर्ग ने बताई लोकनायक के बचपन की कहानी...
पटना से लगभग 115 KM का सफर तय कर टीम जय प्रकाश नारायण के गांव को जोड़ने वाले संपर्क मार्ग पर पहुंचे। उबड़-खाबड़ टूटी-फूटी सड़कों पर सन्नाटे के बीच स्कूली बच्चे दिखाई दिए। छुट्टी के बाद वह स्कूल से घर के लिए अपनी ही धुन में बढ़ते जा रहे थे। गाड़ी थोड़ी आगे बढ़ी तो गांव में कुछ लोग जमीन पर बैठकर ताश खेलते हुए नजर आए।
गाड़ी जय प्रकाश नगर सिताब दियारा में स्थित जय प्रकाश नारायण ट्रस्ट के गेट पर पहुंचती है। लोहे के गेट में अंदर से ताला बंद था और सफाई चल रही थी। गेट खुलता है और वहां हमारी मुलाकात गांव के ही 92 वर्ष के शिव नरेश से हुई। वह 18 साल की उम्र से जेपी के साथ जुड़े थे। शिव नरेश ने जेपी के जीवन की कई रोचक घटनाएं बताई।
एक संत ने कहा था बनेगा क्रांतिकारी
92 साल के शिव नरेश ने बताया कि जेपी के पिता सिताब दियारा के लाला टोला में रहते थे। जेपी के जन्म से पहले गांव में कालरा फैल गया, जिससे लोग गांव छोड़ भागने लगे। इस दौरान जेपी के माता-पिता भी उस जगह आ गए, जहां आज ट्रस्ट का भवन बनाया गया है। शिव नरेश ने उस जगह को दिखाया, जहां जेपी का जन्म हुआ था। वो बताते हैं कि जेपी को 6 साल तक दांत नहीं आया था। एक बार जेपी के माता-पिता उन्हें एक संत के पास ले गए। महात्मा ने उस समय ही बता दिया था कि जिसे दांत नहीं आने से बउध समझा जा रहा है, वह एक दिन पूरे क्षेत्र का नाम रोशन करेगा। इसकी क्रांति चारों तरफ फैलेगी। संत की वाणी सच हुई। जेपी ने अपने आंदोलन से पूरे देश को लोहा मनवा दिया। स्वतंत्रता की लड़ाई के साथ लोगों को आंदोलन से अधिकार पाने का रास्ता दिखाया।
चंद्रशेखर ने जेपी को कराई थी जन्मभूमि की परिक्रमा
शिव नरेश का कहना है कि गांव में जेपी को पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह लेकर आए थे। जय प्रकाश नरायण ने चंद्रशेखर से कहा था कि उनकी इच्छा है कि वह अपनी जन्म भूमि की परिक्रमा करें। इस पर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने उन्हें हेलीकॉप्टर से पूरे गांव की परिक्रमा कराई थी। इसके बाद से वह गांव में नहीं आए।
शिव नरेश बताते हैं कि 1956 में जेपी ने उनकी नौकरी गांधी आश्रम में लगवा दी थी। शिव नरेश का कहना है कि जेपी काफी भावुक थे। वह क्रांतिकारी के साथ दिल के काफी कमजोर भी थे। जेपी और उनकी पत्नी प्रभावती के बीच अद्भुत प्रेम था। प्रभावती देवी सुबह 4 बजे उठ जाती थी, लेकिन घर में कोई आवाज नहीं होने देती थीं, ताकि जय प्रकाश नरायण की नींद न टूट जाए। सुबह 7 बजे नाश्ता का नियम था और प्रभावती देवी इस टाइम पर उनके टेबल पर नाश्ता लगा देती थीं। नाश्ता करने या फिर खाना खाने में जेपी को एक भी मिनट लेट होता था तो प्रभावती देवी बेचैन हो जाती थी। हर कोई जेपी और प्रभावती के प्रेम का उदाहरण देता था।