देश भर में आज रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है। भाई बहन के इस प्यार भरे त्योहार को बॉलीवुड के सितारे भी धूमधाम से सेलिब्रेट करते हैं।
बचपन में मैं अपने पूरे हाथों में राखी बांधने की जिद्द करता था- विजय देवरकोंडा
हर साल की तरह इस साल भी मैं ये त्योहार अपने कजिन्स के साथ मनाऊंगा। यूं तो वे मुझसे कुछ स्पेशल गिफ्ट्स की उम्मीद करते हैं, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी मेरी मां ही उनके लिए गिफ्ट्स तैयार करेंगी। मेरी मां को शॉपिंग करना बहुत पसंद है और वो काफी दिनों से गिफ्ट्स देने की तैयारी में जुटी हुई हैं। मुझे पूरा यकीन है कि मेरी बहनों को हर साल की तरह इस साल भी कुछ खास तोहफा जरूर मिलेगा। बचपन में मुझे ये त्योहार बहुत अच्छा लगता था खासतौर पर अपनी कलाइयों पर ढेर सारी राखियां देखकर। मुझे याद है कि बचपन में मैं सिर्फ अपनी कलाई पर ही नहीं बल्कि अपने पूरे हाथों में राखी बांधने की जिद्द किया करता था। सिर्फ रक्षाबंधन के दिन ही नहीं, बल्कि मैं उन राखियों को कई महीनों तक अपनी कलाइयों में बांधकर रखता था। मैं अपने बचपन के इन मोमेंट्स को बहुत मिस करता हूं।
तुषार बचपन में बोलते कि अगर मुझे बहन की रक्षा करनी है तो मैं पैसे क्यों दूं, एकता को बदले में सिक्योरिटी मनी देनी चाहिए- एकता कपूर
बतौर किड्स जब भी हम कभी पार्टी करने जाते थे तो तुषार के साथ हम भाई बहनों का झगड़ा होना तय होता था। हमारे दोस्त जानना चाहते थे कि झगड़े की वजह क्या है? उन्हें साफ दिखता भी था कि झगड़े और धमाचौकड़ी के चलते गाड़ी तक बाकायदा हिल डुल रही होती थी। तो हम उस तरह के भाई बहन हैं। अक्सर झगड़ा गाड़ी में अपनी पसंद का गाना न चलने पर होता था। गाड़ी में बैठे तो एक दूसरे के बाल खींचना आदि होता ही था। बचपन के दिनों में राखी वाले दिन मां तुषार को बोलती थीं कि तुझे एकता को पैसे देने होंगे। तुषार बोलते थे कि पैसे किस बात के दूं। फिर मां समझाते हुए कहती थीं कि रक्षाबंधन का मतलब भाइयों के द्वारा बहनों की रक्षा करना होता है। इस पर तुषार कहते अगर मुझे बहन की रक्षा करनी है, तो मैं पैसे क्यों दूं, एकता को बदले में सिक्योरिटी मनी देनी चाहिए। पर मां हमेशा ये इंश्योर करती कि तुषार पैसे देकर रिवाज कंप्लीट करें।
बहन से पहले पंडित जी बांध जाते थे राखी: पंकज त्रिपाठी
रक्षाबंधन को लेकर यादगार किस्सा यह है कि मैं गांव में रहता था, तो वहां बहन से पहले पंडित जी हमारे हाथ में राखी बांध जाते थे। दरअसल, मानसून के समय रक्षाबंधन का त्योहार आता है। तो उस समय स्कूल में छुट्टियां होती थीं, इसलिए मैं तब सुबह 6:30 बजे सोकर उठता था। गांव में 6:30 बजे तक सोना मतलब देर तक सोना होता है, क्योंकि वहां पर सब लोग सुबह 4:30 बजे ही उठ जाते हैं। खैर, तब देखता कि हाथ में फुल रूई के साथ सूती धागा बंधा होता था। ये देखकर मैं पूछता था कि इसे कौन बांध गया, तब घरवाले बताते थे कि पंडित जी आए थे और मंत्र पढ़कर रक्षाबंधन का धागा बांधकर चले गए। हमारे पंडित जी महेश पांडे जी सुबह आते थे और सभी बच्चों को राखी बांधकर चले जाते थे। जो बच्चा सोया होता था, उसे सोते में ही बांध देते थे। वो बोलते थे कि उसे मत जगाओ। इस तरह बहन के पहले पंडित जी राखी बांध कर चले जाते थे, यह मेरी बचपन की स्ट्रांग मेमोरीज हैं।
हम इस त्योहार को एक साथ मिलकर मनाएंगे- अनन्या पांडे
रक्षाबंधन मेरे लिए बहुत खास है क्योंकि हम इसे इस साल मिलकर मनाएंगे। मेरी बहन अलाना 4 साल बाद विदेश से रक्षाबंधन मनाने आ रही हैं, वहीं दूसरी तरफ मेरी छोटी बहन अपनी पढ़ाई के कारण 4 साल के लिए विदेश जा रही है। तो इस बार ये त्योहार किसी इवेंट से कम नहीं होगा। हम सभी मिलकर डिनर पर भी जाएंगे। हम तीन बहनों के बीच सिर्फ एक भाई है। इसलिए हम इसे और एंजॉय करते हैं। इस त्योहार की सबसे अच्छी बात ये है कि हमें इसमें खूब सारे गिफ्ट्स और पैसे मिलते हैं। हमेशा की तरह मैं इस बार भी अपने भाई से कुछ स्पेशल जरूर लूंगी।
इस बार अमेरिका में रक्षाबंधन मनाऊंगा- सोनू सूद
मेरी दो बहनें हैं- मालविका और मोनिका, एक पंजाब में और एक अमेरिका में हैं। इस रक्षाबंधन पर मैं अमेरिका जा रहा हूं। बहुत कम ऐसा मौका मिलता हैं, जहां भाई-बहन के खास दिन पर मैं अपनी अमेरिका वाली बहन के साथ रहूं। अब जब इस बार मौका मिला है तो मैं बिलकुल भी इसे गवाना नहीं चाहता हूं। इसलिए ये साल मेरे लिए बहुत स्पेशल है।
भाई पलाश बचपन का वादा आज तक निभाता आ रहा है- पलक मुच्छल
सिंगर पलक मुच्छल के लिए इस बार रक्षाबंधन का त्योहार दोहरी खुशियां लेकर आया है। इस बारे में बात करते हुए वो कहती हैं, 'रक्षाबंधन का त्योहार इस बार मेरे लिए बहुत स्पेशल है। पहली बात तो फिल्म 'रक्षाबंधन' में मेरा एक गाना आने वाला है, जो भाई-बहन की भावनाओं पर आधारित है। दूसरी बात, रक्षाबंधन का त्योहार आते ही भाई पलाश की बात भावुक कर जाती है और उनका बचपन का चेहरा मेरी आंखों के सामने बार-बार छा जाता है। दरअसल, हम भाई-बहन ने अपना मिशन साथ में शुरू किया था। मेरा समाज सेवा का जो काम है, उसमें पलाश का हमेशा साथ रहा है।
मुझे याद है कि जब मैं पहले बच्चे की मदद के लिए इंदौर में गाने वाली थी, तब मैं खुद 7 साल की थी और पलाश मुझसे भी छोटा था। लेकिन मैंने ठान लिया था कि गाऊंगी और बच्चे की मदद के लिए पैसे जमा करूंगी। तब पलाश मेरे पास आकर कहने लगा कि दीदी! मैं आपके साथ हूं। आप अकेली नहीं हैं। हम दोनों मिलकर इस बच्चे की सर्जरी का खर्च उठाएंगे। उसकी ये बात मुझे बहुत बड़ा साहस दे रही थी। उसने जो वादा बचपन में किया था, वो आज तक निभा रहा है। जब भी मैं कॉन्सर्ट करती हूं, तब वो मेरे साथ होता है। अब उसने अपना अलग करियर बना लिया है। उसने अभी एक फिल्म डायरेक्ट की है, जिसके लिए उसे बहुत प्यार मिला है। लेकिन हमारी बहुत स्पेशल बॉन्डिंग है। मैं उसके साथ की बहुत वैल्यू करती हूं।