यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध के बीच फिनलैंड और स्वीडन को उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की सदस्यता देने के प्रस्ताव को अमेरिकी सीनेट से मंजूरी मिल गयी है। इस फैसले के बाद इन देशों को नाटो में शामिल करने की प्रक्रिया एक कदम और आगे बढ़ी है।
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद इसी वर्ष मई में फिनलैंड व स्वीडन ने नाटो सदस्यता के लिए आवेदन किया था। रूस इन दोनों देशों को नाटो में शामिल करने का विरोध कर रहा है और इन्हें खामियाजा भुगतने की चेतावनी भी दे चुका है। इसके बावजूद नाटो द्वारा फिनलैंड व स्वीडन का सदस्यता आवेदन स्वीकार किये जाने के बाद अब नाटो के सभी सदस्य देशों से सहमति प्राप्त करने की प्रक्रिया चल रही है। नाटो का सदस्य बनने के लिए सभी वर्तमान सदस्यों की सहमति आवश्यक होती है। इस समय नाटो के तीस सदस्य हैं और आधे से अधिक सदस्य देश फिनलैंड व स्वीडन को नाटो की सदस्यता प्रदान करने पर सहमति जता चुकी है।
सदस्य देशों की सहमति की प्रत्याशा में ही अमेरिकी सीनेट में फिनलैंड और स्वीडन को नाटो में शामिल किये जाने का प्रस्ताव लाया गया। सीनेट में सत्तापक्ष और विपक्ष, दोनों ओर से इन देशों को नाटो में शामिल किये जाने के फैसले का समर्थन किया गया। फिनलैंड और स्वीडन को नाटो में शामिल करने के पक्ष में 95 सदस्यों ने मतदान किया, जबकि एक सदस्य इस फैसले से सहमत नहीं थे। इस तरह बहुमत के फैसले से अमेरिकी सीनेट ने फिनलैंड और स्वीडन को नाटो की सदस्यता प्रदान किये जाने को सहमति प्रदान कर दी। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने फिनलौंड और स्वीडन को जल्द ही नाटो में शामिल करने का आह्वान किया। सीनेट में बहुमत के नेता चक शूमर ने फिनलैंड और स्वीडन के अमेरिका स्थित राजनयिकों को मतदान देखने के लिए सीनेट में आमंत्रित किया।