कोलंबो । यूरोपीय संघ (ईयू) ने आतंकवाद-निरोधी कानून में संशोधन करने के श्रीलंका के कदम का स्वागत किया है लेकिन साथ ही कहा है कि श्रीलंका सरकार की अधिसूचना में कई ‘अहम तत्वों’ को शामिल नहीं किया गया है। ईयू ने कोलंबो से बिना आरोप तय किए कानून के तहत हिरासत में रखे गए लोगों को जमानत पर रिहा करने के लिए अधिक व्यावहारिक और प्रशासनिक कदम उठाने का आग्रह भी किया है।
यूरोपीय संघ श्रीलंका पर उसके विवादित आतंकवाद निरोधक अधिनियम (पीटीए) में बदलाव करने का दबाव बना रहा है, जो व्यक्ति को बिना आरोप तय किए 90 दिनों तक हिरासत में रखने का अधिकार देता है और जिसमें हिरासत अवधि को बढ़ाने के प्रावधान भी मौजूद हैं। श्रीलंका सरकार ने 27 जनवरी को एक गजट अधिसूचना जारी कर पीटीए में संशोधन की घोषणा की थी। तब अधिकारियों ने इसे पीटीए को अंतरराष्ट्रीय मानक के आतंकवाद निरोधक कानूनों के अनुरूप बनाने की कवायद करार दिया था।
ब्रसेल्स में मंगलवार को ईयू-श्रीलंका के संयुक्त आयोग की 24वीं बैठक के समापन के बाद मीडिया के लिए जारी साझा बयान में कहा गया है, ‘यूरोपीय संघ आतंकवाद निरोधक अधिनियम (पीटीए) में संशोधन के श्रीलंका सरकार के फैसले का स्वागत करता है। लेकिन, ईयू ने गौर किया है कि संशोधित विधेयक में कई अहम तत्वों को शामिल नहीं किया गया है।’ बयान के मुताबिक, ‘यूरोपीय संघ श्रीलंका से पीटीए के इस्तेमाल में कमी जारी रखने का अनुरोध करता है। वह कोलंबो से बिना आरोप तय किए पीटीए के तहत हिरासत में रखे गए लोगों को जमानत पर रिहा करने के लिए अधिक व्यावहारिक और प्रशासनिक कदम उठाने का आग्रह करता है।