राजस्थान के बीकानेर में स्थित सेना के एक सेंटर में टेंडर दिलाने में कमीशनखोरी का मामला सामने आया है। CBI ने बीकानेर कैंट स्थित सेना की यूनिट में सुरक्षा उपकरणों की सप्लाई को लेकर हुई गड़बड़ी को लेकर चार्जशीट दाखिल कर दी है। इसमें चंडीगढ़ की प्राइवेट फर्म, सैन्य अफसरों, जवानों और रक्षा लेखा विभाग के कई अधिकारियों की संलिप्तता बताई गई है।
CBI ने चंडीगढ़ स्थित विशेष कोर्ट में करीब 2 साल चली जांच के बाद चार्जशीट दाखिल की है। इसमें कॉल रिकॉर्डिंग, रकम का ब्योरा और टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी के सबूत दिए गए हैं। CBI जांच में सामने आया कि चंडीगढ़ की एमके एजेंसीज को सेना के लिए फ्लैप बैरियर, फुल हाई टर्न स्टाइल गेट्स और इनके सॉफ्टवेयर-हार्डवेयर सप्लाई करने का 24.77 लाख रुपए का टेंडर मिला था। चार्जशीट में इस बात का जिक्र है कि कंपनी के मालिक ने इस टेंडर के एवज में 87 हजार रुपए कमीशन के तौर पर दिए हैं।
इसमें से 2 प्रतिशत (लगभग 49,500 रुपए) राशि साउथ वेस्टर्न कमांड, जयपुर के इंटिग्रेटेड फाइनेंशियल एडवाइजर को दी गई। जबकि डेढ़ प्रतिशत कमीशन प्रिंसिपल कंट्रोलर ऑफ डिफेंस अकाउंट्स से जुड़े अधिकारियों तक पहुंचाया गया।
जेम पोर्टल के नियम रखे ताक पर चार्जशीट के अनुसार, टेंडर पास कराने के लिए कंपनी के मालिक ने पहले से संपर्क साधे बिचौलियों के जरिए उमाशंकर कुशवाहा और अन्य अधिकारियों को मोटी रकम रिश्वत के रूप में दी। जेम पोर्टल के नियमों को ताक पर रखकर टेंडर प्रक्रिया की गोपनीय जानकारी पहले ही लीक करने का भी जिक्र किया गया है। इतना ही नहीं, सेना के अन्य कार्यालयों द्वारा भी एमके एजेंसीज की फाइल पर कोई आपत्ति नहीं जताई गई।
कौन हैं उमाशंकर कुशवाहा? 1998 बैच के इंडियन डिफेंस अकाउंट्स सर्विस (IDAS) अधिकारी उमाशंकर प्रसाद कुशवाहा पर गंभीर आरोप हैं। उन्होंने अनुचित तरीके से फाइल को अप्रूव किया और दो प्रतिशत कमीशन लिया। उनका कार्यकाल लेह, इलाहाबाद, बेंगलुरु, मेरठ और दिल्ली के विभिन्न रक्षा कार्यालयों में रह चुका है। वर्ष 2015 से वे जयपुर में IFA के पद पर तैनात हैं।
रिश्वत की बातचीत की रिकॉर्डिंग भी आई सामने CBI द्वारा प्रस्तुत चार्जशीट में आरोपी जतिंदर सिंह बेदी और नायक संदीप सिंह राजपूत के बीच रिश्वत लेन-देन को लेकर की गई बातचीत की रिकॉर्डिंग भी जोड़ी गई है। इसमें बेदी, राजपूत को पैसे ट्रांसफर करने की बात करता है और राजपूत उसे जानकारी देता है कि रकम अभी रिफ्लेक्ट नहीं हुई है। यह रकम बाद में बिचौलियों के जरिए उमाशंकर कुशवाहा तक पहुंचाई गई।
जांच जारी, और खुल सकते हैं कई राज CBI ने स्पष्ट किया है कि यह मामला तो सिर्फ शुरुआत है। यूनिट-365 से संबंधित अन्य टेंडरों और कार्यों में भी गड़बड़ी की आशंका है, जिनकी जांच फिलहाल जारी है।