लगभग 5 सालों से बन रहे फायर सेफ्टी एक्ट और 2010 के बाद से संशोधन की रहा देख रहे किरायेदारी एक्ट की आगामी विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी आने की संभावना बहुत कम है। दोनों ही ड्राफ्ट बिल में अभी सभी तरह की प्रशासनिक सहमतियां नहीं हो पाई हैं। बीते कई हफ्तों से विभागीय स्तर पर इन बिलों को विधान सभा में लाने की प्रक्रिया चल रही थी।
साल 2019 में केंद्र ने फायर सेफ्टी एक्ट का ड्राफ्ट बनाकर मप्र सहित सभी राज्यों के साथ साझा किया था और उसी की तर्ज पर राज्यों में फायर सेफ्टी बनाकर लागू करने के निर्देश दिए थे। इस पूरे एक्ट को लागू करने के लिए स्टाफ की नियुक्ति, इंफ्रास्ट्रक्चर और वेतन आदि के लिए केंद्र की तरफ से 400 करोड़ का प्रावधान है।
कुछ दिन पहले राज्य प्रस्ताव भेज चुका है, केंद्र की स्वीकृति मिलनी बाकी है। वहीं 14 साल से संशोधन की राह देख रहे किरायेदारी एक्ट का ड्राफ्ट भी फाइनल नहीं हो सका है। प्रदेश में 2010 का किरायेदारी एक्ट लागू है, जिसका नया ड्राफ्ट नगरीय प्रशासन विभाग ने तैयार किया था।
दोनों बिलों यह प्रक्रिया बाकी
कुछ दिनों पहले पीएस नगरीय प्रशासन की समीक्षा के बाद कुछ संशोधनों के लिए ड्राफ्ट डायरेक्टरेट को वापस दिया गया था। केंद्र की तर्ज पर सरकारी अधिकारियों की लापरवाही मिलने पर अभियोजना (कानूनी केस) का प्रावधान है।
विभाग का मत था कि कानूनों में तो पहले ही क्रिमिनल नेग्लिजेंस का प्रावधान है तो विभाग के स्तर पर इसे जांच या निलंबन तक रखा जाए। वहीं एक्ट में फायर एनओसी देने वाले कंसल्टेंट्स को कानूनी दर्जा देने के लिए भी संशोधन होगा। विभाग द्वारा अधिकृत कंसलटेंट फायर प्लान बनाकर दे सकेंगे, उनकी लिस्ट विभागीय पोर्टल पर उपलब्ध होगी।
संशोधन के बाद विभाग मंत्री से सहमति लेगा, फिर विधि विभाग की, सीनियर सेक्रेटरी समिति की और अंत में कैबिनेट की सहमति लेगा। कोई संशोधन हुआ तो पूरी प्रक्रिया फिर होगी। वहीं किरायेदारी एक्ट का ड्राफ्ट भी मंत्री के पास सहमति के लिए गया है। बाकी प्रक्रिया भी की जाएगी। इस वजह से आगामी विधान सभा सत्र में इन बिलों के पेश होने की संभावना बहुत कम है।