चंडीगढ़ । अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर की यात्रा के दौरान शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) द्वारा प्रबंधित ‘सराय’ में रहने वाले भक्तों को अब जीएसटी के साथ कमरों का किराया अदा करना होगा। केंद्र सरकार ने आवासीय सुविधाओं को वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) के अधीन ला दिया है। एसजीपीसी ने केंद्र सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है। हर दिन दुनिया भर से लाखों भक्त दुर्गियाना मंदिर के बाद स्वर्ण मंदिर जाते हैं।
केंद्र सरकार ने एसजीपीसी द्वारा संचालित तीन सरायों- बाबा दीप सिंह यात्री निवास, माता भाग कौर निवास और श्री गुरु गोबिंद सिंह एनआरआई निवास में आवास शुल्क पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगाया है। यह सभी मंदिर परिसर के बाहर स्थित हैं। धर्मस्थल परिसर के भीतर स्थित सराय पर कर नहीं लगाया गया है। सूत्रों का कहना है कि एसजीपीसी ने पहले ही भक्तों से जीएसटी वसूलना शुरू कर दिया है। पहले बाबा दीप सिंह निवास में एक कमरा 500 रुपये में एक दिन के लिए मिलता था।
12 फीसदी जीएसटी के साथ भक्तों को एक ही कमरे के लिए 60 रुपए और चुकाने होंगे। माता भाग कौर निवास में एक कमरे के लिए 36 रुपये जीएसटी लिया जा रहा है, जो पहले 300 रुपए में मिलता था। श्री गुरु गोबिंद सिंह एनआरआई निवास के लिए एक कमरे की कीमत 700 रुपए से बढ़कर 784 रुपये कर दी गई है। एसजीपीसी के सहायक सचिव कुलविंदर सिंह रामदास ने केंद्र के इस कदम की निंदा करते हुए इसे वापस लेने की मांग की है।
एसजीपीसी के सहायक सचिव कुलविंदर सिंह रामदास ने कहा है कि एसजीपीसी द्वारा संचालित सराय तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए है, जो दूर-दूर से स्वर्ण मंदिर आते हैं। ये लाभ कमाने वाला व्यावसायिक उद्यम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार के कर को उचित नहीं ठहराया जा सकता। वहीं दुर्गियाना कमेटी द्वारा संचालित आवास पर कोई टैक्स नहीं लगाया गया है।
स्वर्ण मंदिर के प्रबंधक सुलखान सिंह ने कहा कि अभी तक केवल तीन सरायों को को जीएसटी के तहत लाया गया है। केंद्र का कहना है कि ये सराय स्वर्ण मंदिर परिसर के परिसर के बाहर स्थित हैं। केंद्र यह कैसे भूल सकता है कि इन सरायों का रखरखाव भी एसजीपीसी द्वारा भक्तों की सुविधा के लिए किया जा रहा है।