इस बार कांवड़ यात्रा के दौरान हमें न केवल तरह-तरह की शिव भक्तों की वेश-भूषा देखने को मिली वरन विभिन्न प्रकार की कांवड़ झांकियां भी देखने को मिलीं। हजारों रुपये से लेकर कराेड़ों रुपये की इन कांवड़ झांकियों में सनातन संस्कृति के प्रति आस्था और सम्मान के साथ भोले के भक्तों में सर्वस्व न्यौछावर करने का त्याग भी देखने को तो मिला। मनभावन और आकर्षक कांवड़ कला की बेहतरीन सजावट ने लोगों को बरबस ही अपनी ओर खींचा।
इस दौरान कोई कांवड़िया पचास किलो, कोई सौ तो कोई डेढ़ किलो की कांवड़ के साथ विशाल,आकर्षक कावंड़ को लाते दिखा। कुछ कांवड़िया तो बड़े-बड़े समूह में भी कावंड़ लेने हरिद्वार पहुंचे और कोई शिव भक्त अपने शरीर पर कील गाड़कर कांवड़ को लाते देखा गया। अब ऐसी ही एक कांवड़ लेकर हरिद्वार से केदारनाथ जा रहा महाराष्ट्र का एक युवक दिखा है। नितेश काम्बले नाम का यह शिव भक्त कीलों से बनी खड़ाऊं पहनकर कांवड़ यात्रा कर रहा है।
नितेश काम्बले पिछले 8 महीनों से कीलों से बनी खड़ाऊं पहनकर कांवड़ यात्रा कर रहे हैं। जब उनसे इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि भोले बाबा को खुश करना ही उनका एकमात्र उद्देश्य है, इसीलिए वह इस कांवड़ यात्रा को कर रहे हैं। उन्होंने बताया वह इस कांवड़ यात्रा के दौरान कुछ नहीं खाएंगे। वे केवल फलाहार और जूस, पानी के सहारे इस कांवड़ यात्रा को करेंगे। इसी तप को और कठिन करने के लिए उन्होंने कीलों से बनी खड़ाऊं को पहना है। नितेश काम्बले का कहना है कि भगवान भोलेनाथ की भक्ति करना उन्हें बचपन से ही पसंद है। इससे पहले भी वह पैदल महाकाल तक यात्रा कर चुके हैं।